एसएन मेडिकल कॉलेज आगरा में अभी तक एमबीबीएस की 128 सीटों पर ही छात्रों को प्रवेश दिया जाता था। सीट बढाई जाने के प्रस्ताव को राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग नई दिल्ली द्वारा मंजूरी भी दे दी गई है।
मिनी एम्स बनने जा रहे एसएन मेडिकल कॉलेज आगरा में एमबीबीएस की 72 सीटे बढ़ा दी गई है। अब यहां 200 सीटे हो गई हैं। इससे पहले यहां 128 सीटे ही थी। नए सत्र से 200 छात्र-छात्राएं यहां प्रवेश ले पाएंगे। प्राचार्य डॉ. प्रशांत गुप्ता ने बताया कि 1000 करोड़ रुपये से एसएन कॉलेज मिनी एम्स की तर्ज पर विकसित किया जा रहा है।
इसमें करीब 1800 बेड हो जाएंगे। ऐेसे में कॉलेज ने नेशनल मेडिकल कमीशन (एनएमसी) को 72 सीट बढ़ाने के लिए प्रस्ताव भेजा था। इस पर मंजूरी मिल गई है। अब परास्नातक की सीटें भी बढ़ने की उम्मीद बंध गई हैं।अभी इस में पीजी की 166 सीटे हैं। इसको भी 200 सीटे करने का प्रस्ताव भेजा गया है।एसएन में 200 सिम होने से मेडिकल में प्रवेश पाने वाले छात्रों को भी राहत मिलेगी । नए सत्र (2024-25) से काउंसिलिंग के जरिये इसमें प्रवेश होगा।
ब्रिटिश काल में उत्तर प्रदेश के तत्कालीन लेफ्टिनेंट गवर्नर सर जेम्स थॉमसन के नाम पर 1854 में थॉमसन स्कूल की स्थापना हुई। इसी साल आगरा मेडिकल स्कूल से संबद्ध किया गया। 1857 में भारतीय चिकित्सकों का पहला बैच पास हुआ। पहले प्रधानाचार्य सर्जन डॉ. जॉन मरे थे। 1872 में एलएमपी कोर्स शुरू हुआ, जिसे उत्तर प्रदेश राज्य मेडिकल फैक्ल्टी की ओर से एलएसएमएफ में बदल दिया गया। 1939 में एमबीबीएस की डिग्री शुरू हुई, तब 47 सीटें थीं। इसे आगरा विश्वविद्यालय से संबद्ध किया।
बताया जा रहा है कि 1944 में यहां एमबीबीएस का पहले बैच पास हुआ था। 1947 में उत्तर प्रदेश की राज्यपाल डॉक्टर सरोजिनी नायडू के नाम पर इसका नाम रखा गया। 1962 में एमबीबीएस की 60 सीटे थी और 1976 में यह 128 हो गई। 2011-12 में इसकी सीटे बढ़ाकर 150 की गई थी लेकिन एक सत्र के बाद मानक पूरे नहीं होने की वजह से 2013-14 में फिर इन्हें 128 सीटों पर कर दिया गया।