उत्तरा न्यूज। कार्यालय।
उत्तराखंड के जनपद अल्मोड़ा के द्वाराहाट में रहने वाली मंजू रौतेला साह को साल 2019 में कोलकाता में बेस्ट अपकमिंग आर्टिस्ट का अवार्ड मिला है। यह अवार्ड उन्हें इण्डिया इंटरनेशनल साइंस फेस्टिवल की ओर से दिया गया। दरअसल यह पुरूष्कार उन्हें उनकी अनूठी उपलब्धि पर मिला है। एमए , बीएड तक शिक्षित मंजू का विवाह साल 2009 में हुआ और वे अपने पति मनीष कुमार साह के साथ द्वाराहाट के हाट गांव में आ गई। मंजू कहती हैं, कि यहां उन्होंने देखा कि हर जगह (पिरूल) चीड़ की पत्तियाँ फैली रहती है और उसका कहीं कोई इस्तेमाल नहीं होता है। उन्होंने इन पत्तियों का सदुपयोग करने की ठगनी। दरअसल द्वाराहाट इलाके में पिरूल प्रचुर मात्रा में होता है। यहां चारों ओर चीड़ के घने जंगल मौजूद हैं। इसके बाद उन्होंने घर पर ही पिरूल इकठ्ठा करना शुरु किया और किसी कल्पना से भी परे जाकर बेकार समझे जाने वाले पिरूल से फूलदान, टोकरी, कटोरी बैठने के आसन, पायदान आदि घरेलू उपयोग की चीजें बनाना शुरू कर दिया। बाद में मंजू की नियुक्ति राजकीय बालिका इंटर कालेज ताडीखेत में प्रयोगशाला सहायक के पद पर हो गई तो मंजू ने वहां भी स्कूल की शिक्षिकाओं और छात्राओं को भी पिरूल से बनने वाले सजावट के सामान को बनाने का प्रशिक्षण देना शुरू कर दिया। अब पहाड़ के जैसा जीवट रखने वाली और बेकार समझे जाने वाले पिरूल को नया रूप देने वाली मंजू रौतेला साह को साल 2019 में कोलकाता में बेस्ट अपकमिंग आर्टिस्ट का अवार्ड मिला है। यह अवार्ड उन्हें इण्डिया इंटरनेशनल साइंस फेस्टिवल की ओर से दिया गया।