उत्तराखंड के चमोली जिले के माणा गांव में ग्लेशियर टूटने के कारण फंसे 54 मजदूरों में से 46 को सकुशल बचा लिया गया, जबकि 8 मजदूरों की मौत हो गई। भारतीय सेना, वायु सेना, एसडीआरएफ और एनडीआरएफ की टीमों ने कठिन परिस्थितियों में दिन-रात मेहनत कर इस बचाव अभियान को सफल बनाया। बर्फीले तूफान और प्रतिकूल मौसम के बावजूद इन टीमों ने तीन दिनों में ऑपरेशन पूरा कर लिया।
भारतीय वायु सेना का महत्वपूर्ण योगदान
रेस्क्यू ऑपरेशन में भारतीय वायु सेना ने Mi-17 1V और चीता हेलीकॉप्टरों की तैनाती की। इन हेलीकॉप्टरों के जरिए गंभीर रूप से घायल मजदूरों को जोशीमठ तक लाया गया। भारतीय वायु सेना ने ड्रोन-आधारित इंटेलिजेंट बरीड ऑब्जेक्ट डिटेक्शन सिस्टम (DIBODS) का भी उपयोग किया, जिससे बर्फ के नीचे दबे मजदूरों का पता लगाने में मदद मिली। इस अभियान में महिला पायलटों ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और वे हेलीकॉप्टर उड़ाते हुए देखी गईं।
28 फरवरी को आया ग्लेशियर, सेना ने तुरंत शुरू किया रेस्क्यू
28 फरवरी को माणा गांव में ग्लेशियर टूटने की घटना हुई, जिसमें सीमा सड़क संगठन (BRO) के तहत काम कर रहे मजदूर फंस गए। घटना के बाद आईटीबीपी और सेना ने तुरंत बचाव कार्य शुरू किया। सुबह 11:30 बजे तक 15 मजदूरों को सुरक्षित निकाला गया और देर शाम तक 33 मजदूरों को बचा लिया गया।
मौसम साफ होते ही हेलीकॉप्टर से किया गया बचाव
1 मार्च को मौसम अनुकूल होते ही एसडीआरएफ, एनडीआरएफ और स्थानीय प्रशासन ने हेलीकॉप्टरों की मदद से 50 मजदूरों को बचाया, जिनमें से 4 मजदूरों की मौत हो चुकी थी। अगले दिन, 2 मार्च को, सेना और बचाव दलों ने सर्च ऑपरेशन जारी रखा और बर्फ के नीचे से चार और मजदूरों के शव बरामद किए। इस प्रकार, इस आपदा में कुल 8 मजदूरों की जान चली गई।
छह हेलीकॉप्टरों की मदद से पूरा हुआ रेस्क्यू ऑपरेशन
इस ऑपरेशन में कुल 6 हेलीकॉप्टरों का उपयोग किया गया। इसमें भारतीय सेना के तीन चीता हेलीकॉप्टर और वायु सेना के दो चीता हेलीकॉप्टर शामिल थे। रेस्क्यू किए गए सभी मजदूरों को हेलीकॉप्टर से सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया।
टीमवर्क से संभव हुआ सफल रेस्क्यू
इस बचाव अभियान में भारतीय सेना, वायु सेना, एसडीआरएफ, एनडीआरएफ और एनडीएमए-एचएडीआर जैसी टीमें शामिल थीं। अत्यधिक बर्फबारी और जोखिम भरे हालात के बावजूद सभी एजेंसियों ने मिलकर ऑपरेशन को अंजाम दिया।
वीडियो फुटेज में सेना के जवान घायल मजदूरों को सुरक्षित स्थानों तक पहुंचाते नजर आए। इस त्रासदी में 8 लोगों की जान चली गई, लेकिन 46 मजदूरों को सुरक्षित निकालना इस बचाव अभियान की सबसे बड़ी सफलता रही। भारतीय सेना और वायु सेना की तत्परता और समर्पण ने इस आपदा में कई जानें बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।