लखनऊ एयरपोर्ट फ्लाइट से दिल्ली जाने का किराया जितना है उतना 100 मी किसी बीमार को व्हील चेयर से ले जाने के बराबर है। भारत सरकार के दिशा निर्देश पर रेलवे स्टेशनों से लेकर बस अड्डे तक दिव्यांग और वृद्ध जनों के लिए रैंप चेयर व्हील की सुविधा उपलब्ध कराई जाती है।
नौ जून को माल एवेन्यू में रहने वाले विजय अचार्य अपनी साली आशा पराशर को छोड़ने एयरपोर्ट पहुंचे। दिल्ली में रहने वाली आशा पाराशर सिटीज सीनियर सिटीजन है और चलने फिरने में असमर्थ भी है। विजय आचार्य का कहना है की फ्लाइट बुकिंग के समय उनको व्हीलचेयर का कोई विकल्प नहीं मिला ऐसे में एयरपोर्ट पर उन्हें बताया गया कि व्हीलचेयर की सुविधा निजी प्रबंधन की ही एजेंसी प्रणाम दे रही है।
इसका जिक्र निजी प्रबंधन की लखनऊ एयरपोर्ट वेबसाइट पर भी प्रमुखता से दिया गया है। उसके साथ ही प्रणाम के कर्मचारी ने बताया कि व्हीलचेयर के लिए उन्हें शुल्क भी देना होगा लेकिन यह उनकी मजबूरी भी थी तुरंत उन्होंने रसीद काट कर दे दी। इस रसीद संख्या 15806 में व्हील चेयर का शुल्क 3350 रुपये था जो विजय आचार्य ने दिया।
वहीं, जिस फ्लाइट 6ई 6008 से आशा पराशर जा रही थीं, उसका लखनऊ से दिल्ली के बीच किराया 3469 रुपये था। विजय आचार्य का कहना है कि सरकार के निर्देश है कि व्हीलचेयर की सुविधा नेशनल के दी जानी चाहिए यदि सिर्फ ले भी रहे हैं तो वह बेहद ज्यादा नहीं होना चाहिए जितना विमान का किराया उतना मात्र 100 से 125 मीटर की दूरी तक व्हील चेयर का शुल्क कतई न्यायसंगत नहीं है।
लखनऊ एयरपोर्ट से रोजाना औसतन 18 से 20 हजार यात्रियों की आवाजाही है। एयरलाइंस सूत्रों के अनुसार इनमें एक से डेढ़ हजार यात्रियों को व्हील चेयर की जरूरत पड़ती है।