जिस तरह से इस लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने अकेले दम पर पूर्ण बहुमत के आंकड़े से दूर रह गई है।इसके बाद पार्टी को अब केंद्र में सरकार चलाने के लिए एनडीए के अपने सहयोगी दलों की मांगों को पूरा करना एक मजबूरी हो गया है। बुधवार को एनडीए के नेताओं की दिल्ली में नरेंद्र मोदी के घर पर बैठक हुई।
बैठक में सभी नेताओं ने अपनी सहमति से नरेंद्र मोदी को अपना नेता चुनाव और इसको लेकर प्रस्ताव भी पारित किया। इस बीच बताया जा रहा है कि टीडीपी मुखिया चंद्रबाबू नायडू ने लोकसभा स्पीकर के पद की मांग सामने रख दी है।
पार्टी के भविष्य के लिए
चंद्रबाबू नायडू आखिर स्पीकर का पद क्यों चाहते हैं इसकी वजह भी सामने आई है। सूत्रों का कहना है कि भारतीय जनता पार्टी ने बहुमत हासिल करने के लिए पिछले समय जिस तरह क्षेत्रीय दलों को तोड़ा था उसको लेकर पार्टी पूरी तरह से अलर्ट है और अब वह नहीं चाहती कि भविष्य में उसके साथ फिर से ऐसा हो।
बगावत के समय स्पीकर अहम
जब भी पार्टी के सांसद बगावत करते हैं तो स्पीकर की भूमिका काफी अहम हो जाती है। सदन में किसी भी सदस्य को अयोग्य करार देने में स्पीकर काफी महत्वपूर्ण होता है।
2019 में हो गया था खेल
पिछले लोकसभा चुनाव में 2019 में चुनाव में महीने भर के अंदर टीडीपी के 6 में से 4 राज्यसभा सांसदों ने भाजपा का दामन थाम लिया था। टीडीपी इस इतिहास को कतई नहीं भूली होगी। उस वक्त भाजपा ने टीडीपी के साथ अपना गठबंधन खत्म कर लिया था।
खराब हो गया था यूरोप हॉलिडे
दिलचस्प बात यह है कि जब यह सब हो रहा था तो चंद्रबाबू नायडू अपने परिवार के संग यूरोप में छुट्टियां मना रहे थे। इस बीच इस पूरे घटनाक्रम में उनका मजा किरकिरा करने का काम किया था।
अगर 2014 में मोदी सरकार की बात करें तो टीडीपी को एक कैबिनेट पद मिला था, साथ ही एक जूनियर मंत्री पद मिला था। लेकिन इस बार जिस तरह से टीडीपी निर्णायक भूमिका में आई है, उसे देखते हुए पार्टी सरकार में बड़ी हिस्सेदारी चाहती है।
टीडीपी को पता है कि उसके बिना सरकार चला पाना असंभव है, लिहाजा इस मौके पर पार्टी कतई हाथ से नहीं देना चाहती है और अपनी शर्तों को पूरा कराना चाहती है।