चम्पावत। अल्मोड़े की बाल मिठाई और सिंगोड़ी की तरह ही काली कुमाऊँ स्थित लोहाघाट के गलचौड़ा का खेंचुआ लोगों की एक पसंदीदा मिठाई रही है। स्वाद में लाजवाब और सेहत के लिए सुपाच्य पराद में पलटी इस मीठी चीज को देखते ही एकाएक मुंह से लार टपकने लग जाती है। इसके लाजवाब स्वाद के चलते खेंचुआ खाने के लिए दूर दराज से लोग गलचौड़ा तक आते हैं।
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गाय-भैंस के शुद्ध दूध और मलाई से बने खेंचुए में चीनी, इलाइची, बादाम, काजू आदि मिलाकर उसे देर तक पकाया जाता है। इसके लिए पहले चूल्हे में दूध गर्म होने के लिए लोहे की कढाई में डाला जाता है। दूध के एकदम खौलने के बाद आवश्यकतानुसार उसमें अन्य चीजें मिलाई जाती हैं। इसके बाद उसे देर बहुत तक पलटे से हिलाते हुए पकाया जाता है। जब उसका पानी सूख जाये और पलटा पलटने में कुछ खिंचाव महसूस हो तो उसे निकाल कर ठंडा करने के लिए रख दिया जाता है। ठंडा होने के बाद इसे चाय के साथ या ब्रेड में डालकर लोगों को परोसा जाता है। इस तरह से पके इस व्यंजन को स्थानीय कुमाऊॅनी बोली में इसे कटकी भी कहा जाता है। कटकी के साथ चाय यहां के लोगों की बहुत पसंदीदा रही है। लोहाघाट बाजार में इसका एक और रूप लाँज भी काफी खाने को मिलता है। यह दोनों ही मिठाई कुछ हद तक स्वाद में अल्मोड़ा की सिंगोडी की तरह महसूस होती हैं। अंतर बस इतना है कि कटकी में तरलता के चलते इसे पत्ते में लपेटकर नहीं रखा जा सकता है।