खुशियों की सवारी के बंद होने का खामियाजा भुगत रहे हैं जच्चा-बच्चा
पिथौरागढ़ सहयोगी: लॉक डाउन (Lockdown) के चलते वाहनों की कमी के कारण 108 एम्बुलेंस ही गर्भवती महिलाओं का एकमात्र सहारा बनी हुई है. आज भी अभी तक दो महिलाओ ने अस्पताल लें जाते समय 108 में ही अपने बच्चों को जना ।
सूबे में कुछ वर्ष पहले तक खुशियों की सवारी इसलिए चलाई गयी थी कि जच्चा बच्चा सुरक्षित घर पहुंचे। लेकिन जब से खुशियों की सवारी के चक्के जाम हुए हैं 108 सेवा ही गर्भवती महिलाओं को नसीब हो पा रही है वह भी तमाम कोशिशों के बावजूद।
पता चला है कि पहला केस डीडीहाट क्षेत्र का है। जब बीरेंद्र सिंह की पत्नी बिमला (23 वर्ष) को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र डीडीहाट ने जिला महिला अस्पताल में रेफर किया गया।
क्रिटिकल केस बता कर पहले तो आनाकानी की गयी। बाद में जब डीडीहाट की 108 एम्बुलेंस ज़ब महिला को लेकर गुदोली के आसपास पहुंची थी तो महिला को तीव्र प्रसव पीड़ा होने लगी। इसके चलते एम्बुलेंस को सडक किनारे खड़ा कर दिया गया।
इस दौरान ईएमटी सोनिया मेहरा की मदद से एम्बुलेंस में सफल डिलीवरी करवाई गयी। इसके तुरंत बाद जच्चा बच्चा को पिथौरागढ़ महिला अस्पताल भर्ती कराया गया।
दूसरी खबर के मुताबिक बिषाड़ की जयश्री के पति राहुल कुमार ने 108 में कॉल किया. पिथौरागढ़ अस्पताल प्रशासन की ओर से एम्बुलेंस में तकनीकि खराबी का कारण बताया गया। बाद में, backup एम्बुलेंस को मौके पर भेजा गया।
जब एम्बुलेंस मौके पर पहुंची तो महिला सडक पर बच्चे को जन्म दे चुकी थी। इधर ईएमटी विद्या सामंत ने समझदारी का परिचय देते हुए आवश्यक स्वास्थ्य परीक्षण कर जच्चा बच्चा को महिला अस्पताल तक पहुंचाया गया।
लगभग सभी अस्पतालों के पुरसा हाल बयां करते हैं लगभग एक ही कहानी
सूबे में अस्पतालों की हालत चिंताजनक बनी हुई है। नार्मल डिलीवरी को भी सिजेरियन बताकर हायर सेंटर रिफर किया जाना इनकी नियति बन गयी है। इस तरह के समाचारों के सामने आने के बाद राज्य की स्वास्थ्य व्यवस्था पर सवालिया निशान खड़े होते जा रहे हैं।