कांग्रेसी MLA’S की हिमाचल में क्रॉस वोटिंग की वजह से अब जाएगी विधायकी, जानिए क्या है दल-बदल रोधी कानून?

हिमाचल प्रदेश में राज्यसभा चुनाव में मंगलवार को कांग्रेस के 40 में से 6 विधायकों ने क्रॉस वोटिंग की और बीजेपी के उम्मीदवार हर्ष महाजन…

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हिमाचल प्रदेश में राज्यसभा चुनाव में मंगलवार को कांग्रेस के 40 में से 6 विधायकों ने क्रॉस वोटिंग की और बीजेपी के उम्मीदवार हर्ष महाजन को वोट दिया। हिमाचल प्रदेश में राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस के 6 विधायक समेत 9 विधायकों ने क्रॉस वोटिंग की और बीजेपी के उम्मीदवार को वोट दिया, जिसके बाद यह सियासी ड्रामा काफी बढ़ गया।

पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा नेता जयराम ठाकुर के नेतृत्व में भाजपा विधायकों ने आज सुबह राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ला से मुलाकात की और विधानसभा में वोट डिवीजन की मांग की। वहीं दूसरी तरफ विधानसभा स्पीकर कुलदीप पठानिया ने भी राजभवन जाकर राज्यपाल से मुलाकात की। इसी बीच कांग्रेस ने क्रॉस वोटिंग करने वाले विधायकों से अब जवाब मांगा है। सभी पर यह सवाल उठ रहे हैं कि क्या हिमाचल में कांग्रेस की सुखविंदर सिंह सुक्खु सरकार गिर जाएगी या क्या क्रॉस वोटिंग करने वाले 6 कांग्रेसी विधायकों पर दल बदल विरोधी नियम के तहत कार्यवाही की जाएगी।

1985 में संसद द्वारा 52वे संविधान संशोधन के जरिए संविधान की दसवीं अनुसूची में दल बदल विरोधी कानून का प्रावधान किया गया है। यह 2002 से प्रभावित है। यह कानून संसद या विधानसभा में किसी भी संसदीय विधायक को किसी प्रॉब्लम या लालच से प्रेरित होकर दूसरे दल में शामिल होने या उसके पक्ष में मतदान करने से रोकता है। दल बदल विरोधी कानून यह सुनिश्चित करने के लिए बनाया गया है कि पार्टी का कोई सदस्य उल्लंघन न करें और अगर वह ऐसा करता है तो वह सदन की सदस्यता खो देता है। यह कानून संसद और राज्य विधानसभाओं दोनों पर लागू होता है। इस कानून का उद्देश्य सांसद या विधायकों को किसी भी व्यक्तिगत उद्देश्य के लिए राजनीतिक दल बदल करने से रोकता है लेकिन यह नियम एक अपवाद भी है।

कहा गया है कि अगर किसी दल के कुल दो तिहाई सदस्य किसी अन्य दल में विलय करने का निर्णय लेते हैं या पार्टी से अलग अपना पक्ष रखते हैं तो सदन के अंदर दूसरे दल के पक्ष में मतदान करते हैं तो उन पर यह कानून नहीं लगाया जाएगा। दल बदल रोधी कानून के मुताबिक राज्यसभा चुनाव में क्रॉस वोटिंग के मामले में यह नियम किसी भी विधायक पर लागू नहीं होता है। लोकसभा के पूर्व महासचिव पीडीटी आचार्य ने एक इंटरव्यू में कहा हिमाचल प्रदेश और उत्तर प्रदेश के राज्यसभा चुनाव में हुई क्रॉस वोटिंग के मामले में एंटी डिफेक्शन लॉ यानी दल बदल रोधी कानून नहीं लागू होगा क्योंकि राज्यसभा के चुनाव आयोग द्वारा किए जाते हैं और इसमें विधानसभा की कोई भूमिका नहीं होती है।

उन्होंने यह भी कहा कि विधानसभा के अंदर होने वाली वोटिंग और उसमें की गई क्रॉस वोटिंग पर ही यह लागू होता है। आपको बता दे कि हिमाचल प्रदेश में राज्यसभा चुनाव में मंगलवार को कांग्रेस के 40 में से 6 विधायकों ने क्रॉस वोटिंग की और बीजेपी के उम्मीदवार हर्ष महाजन को वोट दिया। इसके अलावा कांग्रेस को समर्थन दे रहे तीन निर्दलीय विधायकों ने भी बीजेपी कैंडिडेट को वोट दिया जिससे कांग्रेस के अभिषेक मनु सिंघवी और बीजेपी के हर्ष महाजन को 34-34 वोट मिले। बाद में ड्रा के जरिए हर्ष महाजन को विजेता घोषित किया गया।