International Labour Day: अल्मोड़ा में विभिन्न संगठनों ने मई दिवस के शहीदों को किया याद

अल्मोड़ा, 1 मई 2021- अंतरराष्ट्रीय मज़दूर दिवस (Labour Day) के मौके पर सीआईटीयू, किसान सभा व अन्य जनवादी संगठनों ने मई दिवस के शहीदों को…

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अल्मोड़ा, 1 मई 2021- अंतरराष्ट्रीय मज़दूर दिवस (Labour Day) के मौके पर सीआईटीयू, किसान सभा व अन्य जनवादी संगठनों ने मई दिवस के शहीदों को याद किया और भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की। इस दौरान संकल्प लिया कि मजदूरों की अनगिनत कुर्बानियों को व्यर्थ नहीं जाने दिया जाएगा तथा आने वाले समय में संघर्ष को और नई ऊंचाईयों में ले जाया जाएगा।

मई दिवस पर सीआईटीयू, किसान सभा व अन्य जनवादी संगठनों के सदस्यों ने कार्यक्रम को कोविड नियमों का पालन करते हुए स्थानीय कार्यालय में सम्पन किया। इस दौरान विचार व्यक्त करते हुए

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सदस्यों ने कहा कि, अंतरराष्ट्रीय मज़दूर दिवस (Labour Day) 8 घंटे काम के खूनी संघर्ष रूप में 1886 में सामने आया, जिसमें 7 मज़दूर नेताओं को फांसी व एक नेता को आजीवन कारावास की सज़ा सुनाई गई थी। तब से यह विश्व का एक प्रमुख मज़दूर आयोजन बन गया जिसे जनता ने स्वीकार किया।

आज की परिस्थितियों में मज़दूर दिवस (Labour Day) की प्रासंगिकता कई गुना बढ़ जाती है क्योँकि विज्ञान व प्रौद्योगिकी की नई ऊंचाईयों ने शासक वर्ग और उसकी सरकारों ने श्रम को अपने मुनाफे के लिए ही इस्तेमाल किया है।

कहा कि कोविड महामारी जो कि पिछले डेढ़ साल से जारी है जिसने पूंजीवादी व्यवस्था के क्रूर और बर्बर चेहरे को अच्छी तरह उजागर कर दिया है। पूंजीवादी व्यवस्था आज विज्ञान और प्रौद्योगिकी की अभूतपूर्व प्रगति के बावजूद अधिकांश जनता की बुनियादी जरूरतों को पूरा करने और उनकी जीवन की रक्षा करने में विफल रही है। एक व्यवस्था जहां स्वास्थ्य नागरिकों का मूल अधिकार नहीं है बल्कि चंद उन लोगों के लिए आरक्षित है जो इसे खरीद सकते हैं।

कहा कि स्वास्थ्य, शिक्षा, आवास, भोजन तेजी से गरीबों की पहुंच से बाहर होते जा रहे है। महामारी के दौरान कामकाजी निर्धनों की संख्या में वृद्धि हुई हैं, लाखों लोग अपनी नौकरी खो चुके है। कहा कि वर्तमान भाजपा सरकार ने महामारी की आड़ में एक साल पूर्व लॉक डाउन का लाभ लेते हुए लंबे संघर्षों से प्राप्त मजदूर पक्षीय कानूनों से पल्ला झाड़ने का काम किया है, यही नहीं उसने मज़दूर दिवस (Labour Day) की शहादत 8 घंटे के काम से भी मुक्ति पाने का काम किया है।

इसके साथ ही कृषि कानूनों को लाकर अपनी असली मनसा जाहिर कर दी है। देश के असल सृजनकर्ता मजदूर और किसान आज संघर्ष की राह में हैं।

कहा कि पिछले एक साल से मजदूर और किसान अलग-अलग स्तरों व सांझे स्तरों पर सरकार की नीतियों का विरोध कर रहे हैं, लेकिन सरकार हठधर्मिता अपना रही है।

सदस्यों ने अंतरराष्ट्रीय मज़दूर दिवस (Labour Day) के मौके पर संकल्प लेते हुए कहा कि कोविड के खिलाफ सार्वजनिक टीकाकरण के साथ-साथ मुफ्त सार्वजनिक स्वास्थ्य देखभाल की मांग को आगे बढ़ाते हुए मजदूर किसान एकता की धुरी पर व्यापक जनता की एकता को बनाना होगा। जिससे जनता की बुनियादी जरूरतों स्वास्थ्य, रोजगार की गारंटी के साथ-साथ गरिमामय मानव जीवन का राजनीतिक संघर्ष आगे बड़े।

सीआईटीयू, किसान सभा व अन्य जनवादी संगठनों के सदस्यों ने कोविड महामारी के दौरान मृत लोगों के प्रति शोक व संवेदनाएं प्रकट की। मई दिवस के इस कार्यक्रम में सीटू के आरपी जोशी, किसान सभा के दिनेश पांडे, एडवा की सुनीता पांडे, नौजवान सभा के स्वप्निल पांडे शामिल थे।

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