कोसी नदी क्षेत्र में पर्यटन के गुर सीखेंगे ग्रामीण युवाः किरीट कुमार

अल्मोड़ा:- कोसी नदी क्षेत्र के परितः ग्रामीण क्षेत्रों में अन्य कार्यों के साथ पर्यटन की अपार संभावनाऐं हैं और हमें इन्हें तराना होगा। इसके लिए…

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अल्मोड़ा:- कोसी नदी क्षेत्र के परितः ग्रामीण क्षेत्रों में अन्य कार्यों के साथ पर्यटन की अपार संभावनाऐं हैं और हमें इन्हें तराना होगा। इसके लिए गोविंद बल्लभ पंत राष्ट्रीय हिमालयी पर्यावरण एवं सतत् विकास संस्थान कोसी क्षेत्र के युवाओं के बीच प्रशिक्षण कार्यक्रमों का संचालन करेगा। यह बात राष्ट्रीय हिमालयी अध्ययन के नोडल अधिकारी और संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिक इं0 किरीट कुमार ने बीते दिवस सोमेवर के कॉटली में ग्रामीणों के बीच एक गोष्ठी के दौरान कही। मिन द्वारा संचालित परियोजना ‘मध्य हिमालयी बेसिन और जलस्रोतों के जीर्णोद्धार ’ के विषय में बोलते हुए उन्होंने बताया कि कोसी परिक्षेत्र में इस बार सघन रूप से जलधाराओं, जलस्रोतों और नदियों पर वैज्ञानिक अध्ययन किया जा रहा है। मध्य हिमालय में लगातार हो रही पानी हमारे पलायन और ग्रामीण विकास से भी जुड़ा है। आने वाले दिनों में इस दिशा में और वैज्ञानिक ढंग से जल संरक्षण और प्रबंधन के कामों को किया जाएगा। उन्होंने कहा कि मिन की टीम ने नए क्षेत्रों की तलाश में इस क्षेत्र में रूद्रधारी मंदिर और उसके पर्यटकीय महत्व को रेखांकित किया है। इस रमणीय स्थल को अधिक से अधिक प्रचार किया जा रहा है। आने वाले दिनों में क्षेत्र के युवा इस पर्यटन से जुड़कर अपनी आय अर्जित कर सकते हैं। इसके लिए उनको और प्रशिक्षित किया जाएगा। इस मौके पर परियोजना वैज्ञानिक डॉ ललित गिरी ने बताया कि रूद्रधारी और उसके आसपास अपार जैव विविधता के साथ इस क्षेत्र की भौगोलिक विषताओं को युवाओं को बोध कराने की आवयकता है। इस क्षेत्र को पर्यटन के प्रमुख स्थलों में लाने के विभिन्न प्रयास किए जा रहे हैं। उन्होनें युवाओं को पर्यटन, टूरिस्ट गाईड आदि अवसरों और उसके तौर तरीकों के बारे में बताया। मौके पर परियोजना से जुड़े इं0 दर्शन भटट, मोहित तिवारी, विक्रम नेगी आदि ने भी युवाओं को संबोधित किया। ग्रामीणों की ओर से इस गोष्ठी में बची राम, दिने चंद्र काण्डपाल, तारा राम, हरी राम, दीपक, मोनू, नीरज आदि ने अपने विचार रखे और राज्य सरकारों से विभागों को भी इससे जोड़ने की बात कही। इस अवसर पर रूद्रधारी फ्लायर को युवाओं को वितरित किया गया और इस क्षेत्र की वैज्ञानिक, सामाजिक, सांस्कृतिक और पारिस्थितिकीय विषताओं पर उनसे चर्चा की गई।