ओड़िशा के पुरी का जगन्नाथ मंदिर देश-दुनिया में प्रसिद्ध है। धार्मिक मान्यता के मुताबिक, द्वापर के बाद श्रीकृष्ण पुरी में निवास करने लगे और जग के नाथ यानी जगन्नाथ बन गए।
7 जुलाई 2024 को देशभर में जगन्नाथ रथ यात्रा का पर्व मनाय गया। इस मौके पर रथ पर विराजमान होकर भगवान जगन्नाथ बहन सुभद्रा और बलराम के साथ मौसी के घर गुंडिचा मंदिर पहुंचे। 10 दिनों तक मौसी के घर पर रहने के बाद वापस जगन्नाथ मंदिर लौट जाएंगे।
फिलहाल इस बीच पुरी के जगन्नाथ मंदिर का रत्न भंडार चर्चा में है, जिसको 46 वर्षों के बाद खोला गया है। इससे पहले मंदिर के चारों द्वार खोले गए थे और रविवार को धार्मिक अनुष्ठान के बाद शुभ मुहूर्त में दोपहर 01 बजकर 28 मिनट पर 46 साल बाद मंदिर का रत्न भंडार खोला गया।
46 साल बाद रत्न भंडार को खोलने का उद्देश्य आभूषणों, मूल्यवान वस्तु की सूची बनाने और भंडार गृह की मरम्मत कराना है। हालांकि रत्न भंडार से क्या-क्या वस्तुएं निकली इसकी पूरी सूची बनाने में अभी समय लगेगा। एक रिपोर्ट के अनुसार, रत्न भंडार में भगवान को चढ़ाए बहुमूल्य सोने और हीरे के आभूषण हैं। वहीं रत्न भंडार के दो कक्ष हैं।इनमें भीतरी और बाहरी खजाना है।
श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन (SJTA) के मुख्य प्रशासक अरविंद पाधी ने बताया कि, रत्न भंडार के बाहरी कक्ष की तीन चाबियां उपलब्ध थी और आंतरिक कक्ष की चाबियां गायब थी
ओडिशा मैगजीन के अनुसार, बाहरी खजाने में भगवान जगन्नाथ का सोने का मुकुट, तीन सोने का हार है। वहीं आंतरिक खजाने में करीब 74 सोने के आभूषण हैं, जिसमें प्रत्येक का वजन लगभग 100 तोला है इसमें सोने, चांदी, हीरे, मूंगा और मोतियों से बने आभूषण भी हैं।
Disclaimer: यहां दी सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है।यह अन्य मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार लिखी गई है। यहां यह बताना जरूरी है कि उत्तरा न्यूज किसी भी तरह की पुष्टि नहीं करता है।