यूपी के बहराइच में एक माह तक चलने वाला मेला आज से शुरू हो गया है। लखनऊ के हाई कोर्ट के जज ने इस मेले का उद्घाटन किया। इस दौरान बड़ी संख्या में अधिकारी और मेला कमेटी के सदस्य भी यहां मौजूद रहे।
उत्तर प्रदेश के बहराइच जिले में सैयद सालार मसूद गाजी की दरगाह पर लगने वाला मेला 2 जून से शुरू हो गया है। ये मेला एक महीने तक चलेगा। यह मेला अनेकता में एकता के लिए मशहूर है। आज रात यहां 500 से अधिक बारातें आएंगी। इस प्रचण्ड गर्मी में लगभग सात किलोमीटर की परिधि में खुले आसमान के नीचे रहकर मजार पर अपनी श्रद्धा के फूल अर्पित करेंगे।
सोचने वाली बात है कि एक सूफी की दरगाह पर बारात लाने का आखिर क्या कारण है तो आपको बता दे कि आज से लगभग 800 साल पहले बाराबंकी से जोहरा बीवी परिवार सहित गाजी मियां के यहां बारात लेकर आई थीं, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि जोहरा बीवी नाबीना (अंधी) थीं। सैयद साहब की करामात से उनकी आंखों में रोशनी आ गई थी, तभी से उन्होंने मन ही मन सैयद को अपना पति मान लिया था, लेकिन उन्होंने अपनी यह इच्छा कभी किसी पर जाहिर नहीं की थी, लेकिन जब सैयद साहब का देहान्त हो गया, तो वह बारात लेकर बहराइच आ गई और मजार शरीफ पर दिया-बाती करने लगी, तभी से बारातों का सिलसिला, जो चला वह आज भी कायम है।
इस मेले की शुरुआत जेष्ठ माह के पहले रविवार से होती है। मेले में आने वाले बारातों में सबसे खूबसूरत बारात टांडा से आती है। सैय्यद साहब के चाहने वाले दहेज के रूप में कोई सोफा, तो कोई शेरवानी, पलंग, सीढी, मुकुट आदि सामान लेकर आते हैं। इस दरगाह को हिंदू मुसलमान एकता का प्रतीक भी माना जाता है क्योंकि यह हिंदू मुसलमान सभी बाराते लेकर आते हैं और अपनी मन्नतें मांगते हैं।
रविवार को इस मेले का उद्घाटन इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच के न्याय मूर्ति फैज आलम खान और न्यायमूर्ति शमीम अहमद ने फीता काटकर किया। इस मौके पर बहराइच के प्रशासनिक अधिकारी भी मौजूद थे। इसके अलावा दरगाह के कमेटी के अध्यक्षशमशाद अहमद, सदस्य बच्चे भारती, दिलशाद अहमद, हाजी अज़मत उल्ला, मकसूद रायनी, कार्यवाहक मैनेजर हाजी सैय्यद अलीमुलहक़ के अलावा भारी संख्या में अकीदतमंद मौजूद रहे।