UN Report On Global Warming: तकनीक का जितना ज्यादा विकास हो रहा है, दुनिया में कार्बन का उत्सर्जन भी उतना ज्यादा होता जा रहा है, जो मानवीय अस्तित्व के लिए लगातार खतरा बना हुआ है। संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट में यह दावा किया गया है कि वर्ष 2014 से 2023 के बीच इन 10 सालों में धरती पर सबसे ज्यादा गर्मी रही।
संयुक्त राष्ट्र के विश्व मौसम विज्ञान संगठन ने अपनी एनुअल क्लाइमेट स्टेटस एक रिपोर्ट जारी की है इसमें बताया गया है कि साल 2023 अब तक का सबसे गर्म वर्ष रहा जबकि 2014 से 2023 का समय सबसे गर्म दशक के रूप में रिकॉर्ड किया गया। इन 10 सालों में हीट वेव ने महासागरों को भी प्रभावित कर दिया साथ ही ग्लेशियरों को रिकॉर्ड बर्फ का नुकसान हुआ।
विश्व मौसम विज्ञान संगठन की इस रिपोर्ट पर संयुक्त राष्ट्र प्रमुख एंटोनियो गुटेरेस ने चिंता जाहिर की है। उन्होंने कहा कि इस रिपोर्ट में पता चलता है कि हमारी धरती खत्म होने की कगार पर है।
एंटोनियो गुटेरेस ने कहा, हमारी धरती संकट में है। जीवाश्म ईंधन प्रदूषण चार्ट से यह पता चलता है कि जलवायु को कितना नुकसान हो रहा है। यह चेतावनी भी दी जा रही है की धरती पर अब तेजी से बदलाव हो रहे हैं।
WMO की प्रमुख एंड्रिया सेलेस्टे साउलो ने कहा, “इस रिपोर्ट को दुनिया के लिए रेड अलर्ट के रूप में देखा जाना चाहिए.” उन्होंने कहा कि गर्मी का रिकॉर्ड एक बार फिर टूट गया और कुछ मामलों में तोड़ा गया.”
एंड्रिया सेलेस्टे साउलो ने कहा, 2023 में जो देखा खास तौर पर महासागरों में भी हीटवेव बढा, ग्लेशियर पिघलाकर पीछे खिसक गए, अंटार्कटिका महासागर के बर्फ को भी काफी नुकसान हुआ, कुल मिलाकर यह सब चिंता का विषय है।
रिपोर्ट में चेतावनी दी गई कि 1950 में रिकॉर्ड शुरू होने के बाद से दुनियाभर के प्रमुख ग्लेशियरों को बर्फ का सबसे बड़ा नुकसान हुआ है। खासतौर पर पश्चिमी उत्तरी अमेरिका और यूरोप में चीजें बिगड़ी हैं।