जानिए देश के सबसे अमीर नाई के बारे में जो कभी ऑडी में तो कभी बीएमडब्ल्यू में बैठकर आते हैं बाल काटने

बेंगलुरु के आनंदपुर का रहने वाला रमेश 7 साल का था तभी उनके पिता का निधन हो गया था। पिता की मृत्यु के बाद रमेश…

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बेंगलुरु के आनंदपुर का रहने वाला रमेश 7 साल का था तभी उनके पिता का निधन हो गया था। पिता की मृत्यु के बाद रमेश बाबू की मां घरों में खाना बनाने का काम करती थी। एक समय था जब उनके पास खाने के लिए भी पैसे नहीं थे लेकिन आज रमेश बाबू के पास 400 से ज्यादा महंगी गाड़ियों का भंडार है। आज हम आपको ऐसे अरबपति नाई के बारे में बताने जा रहे हैं जिनके पास एक से एक महंगी कारें हैं। किसी के पास इतनी महंगी कार नहीं है जो उनके पास ना हो। बेंगलुरु के अनंतपुर में रहने वाले रमेश बाबू कभी बाल काटते थे। आज अरबपति बनने के बाद भी उन्होंने अपना काम बंद नहीं किया है। रमेश बाबू बेंगलुरु के मशहूर नाई हैं। वह आज भी अपने बाल रोल्स रॉयस, मर्सिडीज, बीएमडब्ल्यू और ऑडी जैसी लग्जरी कारों का बेड़ा है।

जब रमेश बाबू 7 साल के थे तो उनके पिता का निधन हो गया था। उनके पिता बेंगलुरु के चिन्नास्वामी स्टेडियम के पास अपनी नाई की दुकान चलाते थे। पिता की मृत्यु के बाद रमेश बाबू की मां लोगों के घरों में रसोईया का काम करती थी ताकि वह अपने बच्चों का पेट भर सके। उन्होंने अपने पति की दुकान को महेश ₹5 महीने के किराए पर दे रखा था।

13 साल की उम्र में रमेश बाबू ने अखबार बेचना शुरू कर दिया। 18 साल की उम्र में रमेश बाबू ने अपने चाचा से यह सालों वापस ले लिया। उन्होंने इसकी मरम्मत कराई और कारीगरों को काम पर रखा फिर समस्या यह आई की कारीगर समय पर नहीं आते थे। इससे उनका बिजनेस काफी खराब होने लगा रमेश बाबू को बाल काटना नहीं आता था। फिर एक-एक करके ग्राहक ने जिद करके रमेश बाबू से उनके बाल काटने को कहा। तभी रमेश बाबू को बाल काटने का हुनर ​​आ गया और वे पूरे मन से इस काम में लग गये। उनका सैलून चलता था। रमेश बाबू शानदार कटिंग करते थे। जल्द ही रमेश बाबू का नाम बैंगलोर में प्रसिद्ध हो गया।

रमेश बाबू ने एक कार खरीदी और वह कार चलाना नहीं जानते थे इसलिए उन्होंने उसे कर को किराए पर देना शुरू कर दिया इससे उनकी कमाई होने लगी एक तरफ सालों में कमाई हो रही थी। दूसरी तरफ कार से धीरे-धीरे रमेश बाबू ने अधिक कार खरीदनी शुरू कर दी और किराए पर देनी शुरू कर दी। इसके बाद रमेश बाबू ने रमेश टूर एंड ट्रेवल्स के नाम से शुरुआत की। अब बिजनेस अच्छा चलने लगा तो उन्होंने लग्जरी कारे खरीदनी शुरू कर दी उनके पास आज 400 से अधिक कारे हैं जिनमें से 120 लग्जरी कारें हैं।

रमेश बाबू के पास आज 400 करें इनमें से 9 मर्सिडीज़, 6 बीएमडब्ल्यू, एक जगुआर और तीन ऑडी कर शामिल है। वह रोल्स-रॉयस जैसी महंगी करें भी चलाते हैं जिनका एक दिन का किराया ₹50000 है। रमेश बाबू के पास 90 से अधिक ड्राइवर है लेकिन आज भी उन्होंने अपना पुश्तैनी काम नहीं छोड़ा है। आज भी वह अपने हुनर से पिता के सालों को चलते हैं और वह रोजाना 2 घंटे ग्राहकों के बाल काटते हैं।