Uttarakhand- पप्पू कार्की की याद में निकाला केंडल मार्च

उत्तराखंड के मशहूर लोक गायक प्रवेंद्र उर्फ पप्पू कार्की (34) की सड़क दुर्घटना में हुई मौत से पूरे उत्तराखंड में लोग स्तब्ध है । रविवार की…

Kendall March in memory of Pappu Karki

उत्तराखंड के मशहूर लोक गायक प्रवेंद्र उर्फ पप्पू कार्की (34) की सड़क दुर्घटना में हुई मौत से पूरे उत्तराखंड में लोग स्तब्ध है । रविवार की सुबह पप्पू कार्की की मौत की खबर सोशल मीडिया में वायरल होने के बाद यहां उनके गृहक्षेत्र प्रेमनगर (पांखू) के लोग स्तब्ध रह गए। पप्पू की मां ने जब अपने कलेजे के टुकड़े की मौत की खबर सुनी तो वह बेसुध हो गईं। पप्पू कार्की के चाचा हनुमान कार्की और चाची देवकी देवी सेलावन गांव से किसी काम के लिए प्रेमनगर आए थे।

पप्पू की मां कमला देवी चार दिन पहले अपने पोते का जन्मदिन मनाकर हल्द्वानी से गांव लौटी थीं। पूरे इलाके में आग की तरह फैली इस खबर को उसकी मां को बताने का साहस कोई नहीं कर पाया। बाद में पप्पू की चाची और अन्य ग्रामीणों से अपने कलेजे के टुकड़े की मौत की जानकारी मिलने पर वह बेसुध हो गईं। होश में आने पर वह बार-बार प्रमेंद्र को याद कर दहाड़ें मारकर रोने लगतीं। ग्रामीण उन्हें ढाढ़स बंधाने का प्रयास कर रहे थे। बता दें कि पप्पू के यू ट्यूब चैनल पीके एंटरटेनमेंट ग्रुप पर शुक्रवार को झोड़ा ऑडियो गाना ‘चांचरी’ अपलोड किया गया था। और उसके एक दिन बाद वह दुनिया को अलविदा कह गए। शनिवार शाम चार बजे इस गाने पर 63489 हिट्स थे और दो घंटे बाद ही हिट्स की संख्या 84224 पहुंच गई।

कल रात ही गोनियर के युवा महोत्सव में भी पप्पू कार्की ने यह गाना गाया था। इसी महोत्सव से लौटते वक्त शनिवार को हादसे में उनकी मौत हो गई। पप्पू कार्की का जन्म पिथौरागढ़ के  बेड़ीनाग क्षेत्र के प्रेमनगर सेलावन में किशन सिंह के घर पर हुआ था। लोक गायक पप्पू कार्की ने शुरुआती शिक्षा अपने ही गावँ हीपा के प्राथमिक विद्यालय से ग्रहण की। जूनियर हाईस्कूल की पढ़ाई जूनियर हाईस्कूल प्रेमनगर से की। हाईस्कूल राजकीय हाईस्कूल भट्टीगांव से किया। उसकी गायन की प्रतिभा को बचपन से आंकने वाले पप्पू के रिश्ते के चाचा अध्यापक कृष्ण सिंह कार्की बताते हैं कि वह पांच साल की उम्र से ही कान में हाथ लगा कर न्योली गाने लगा था। होली, रामलीला एवं स्कूल में राष्ट्रीय पर्वों में वह हमेशा ही गाता था। उन्होंने बताया कि परिवार की हालत खराब थी।

इस कारण हाईस्कूल के बाद पढ़ाई छोड़ कर दिल्ली में प्राइवेट नौकरी करने लगा। कृष्ण सिंह कार्की जो कि स्वयं भी  लोक संगीत में रुचि रखते हैं एवं कई  कुमाऊंनी एलबम में गीत गा चुके हैं । उन्होंने अपने एलबम ‘फौज की नौकरी में’ पप्पू को गाने का मौका दिया। उसके बाद 2002 में उनके अन्य एलबम ‘हरियो रूमाला’ में भी पप्पू ने गीत गाए। बाद में पप्पू का 2002 में हिमाल कैसेट से पहला एलबम ‘मेघा’ लांच हुआ । बाद के कुछ वर्ष पप्पू के लिए बहुत खास नही रहे इस अंतराल में गीत तो कई गाये पर बात नही बनी तो कई प्राइवेट जॉब किये।2010 में नरेंद्र टोलिया ने पप्पू के लिए एलबम रिकार्ड किया ‘झम्म लागछि’।इस एल्बम के गीत डीडीहाट की छमना छोरी………. ने पप्पू को रातों रात बुलन्दियों तक पहुंचा दिया और फिर कामयाबी का सफर सुरु हुआ ।

अभी कुछ दिन पूर्व ही पप्पू ने छितकु हिवाल के देवू पांगती के साथ काठमाण्डु के एमबी स्टूडियो में अपने नए गीत छम छम बाजलि हो की रिकॉर्डिंग की थी। पप्पू कार्की के असमायिक निधन से पूरे क्षेत्र में दुख की लहर है रविवार को भारी बारिश के बावजूद पप्पू कार्की के अंतिम संस्कार में हजारो लोग पहुचे।

बेरीनाग में पप्पू कार्की की याद में निकाला केंडल मार्च

लोक गायक पप्पू कार्की की याद में बेरीनाग में लोगो ने केंडल मार्च निकालकर अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की । क्षेत्र के सामाजिक कार्यकर्ताओ, रंगकर्मियों और क्षेत्र वासियों ने पप्पू कार्की  और उनके  दोनों साथियों को अश्रुपूरित श्रद्धांजलि अर्पित की।  हेम पंत,हरीश चुफाल,इंद्र सिंह,मनीष पंत,नंदन बाफिला,विनोद मेहरा ,अमित पाठक,महेश पंत,गोपाल मेहरा सहित सैकड़ों लोग केंडल मार्च में मौजूद रहे । पिथोरागढ़ के धरमघर में भी लोगो ने शोक सभा कर पप्पू कार्की  को श्रद्धांजलि दी।