काशीपुर नगर निगम ​चुनाव : भाजपा कांग्रेस दोनों ने लगाया जोर

विनोद भगत काशीपुर। काशीपुर में मेयर का चुनाव इस बार काफी रोचक और रोमांचकारी हो गया है। भाजपा प्रत्याशी ऊषा चौधरी के सामने अपनी साख…

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विनोद भगत
काशीपुर। काशीपुर में मेयर का चुनाव इस बार काफी रोचक और रोमांचकारी हो गया है। भाजपा प्रत्याशी ऊषा चौधरी के सामने अपनी साख के साथ साथ भाजपा की साख भी दांव पर लगी हुई है। ऊषा चौधरी ने पिछली बार निर्दलीय प्रत्याशी के रूप् में चुनाव लड़ा था। और भाजपा की प्रत्याशी को मात्र 3000 वोट तक सीमित कर करारी शिकस्त दी थी। लेकिन इस बार मिजाज कुछ बदले से है। इस बार ऊषा चौधरी भाजपा से वह उम्मीदवार के रूप में हैं। दिलचस्प बात तो यह है कि पिछली बार ऊषा चौधरी ने हार का जो दंश भाजपा की प्रत्याशी को दिया था क्या उस दंश को भाजपा के लोग भुला पायेंगे।
विशेष बात तो यह है कि इस बार ऊषा चौधरी ने टिकट प्राप्त कर एक बार फिर उन्हीं लोगों को मात दे दी है। देखना दिलचस्प होगा कि क्या पिछली हार और अब टिकट पाने में विफल रहा भाजपा का खेमा क्या इस बात को भूल पायेगे। यही ऊषा चौधरी की जीत की राह में यह सबसे बड़ा रोड़ा बन रहा है। इसके अलावा ऊषा चौधरी निवर्तमान मेयर रही हैं।। और पिछले कार्यकाल की नाराजगी भी उनके लिये भारी पड़ सकती है।
कांग्रेस प्रत्याशी मुक्ता सिंह पहली बार कोई चुनावी मैदान में हैं। उनके साथ तमाम कांग्रेसी एकजुट होकर चुनाव प्रचार में जुट गये हैं। पिछले कई वर्षों से काशीपुर में कांग्रेस के लिये चुनाव जीतना नामुमकिन सा होता जा रहा है। 20 वर्षों से कांग्रेस काशीपुर में जन प्रतिनिधि का चुनाव जीत पाने में नाकाम रही है। इसलिए मेयर का यह चुनाव कांग्रेस के लिये प्रतिष्ठा का प्रश्न बन गया है। इस बार 1 लाख 28 हजार मतदाताओं को निर्णय करना है कि कांग्रेस को चुने या फिर भाजपा की वापसी कराये। लेकिन इतना तय है कि इस बार कांग्रेस के लिये संभावनाएं बढ़ती नजर आ रही है। इसके पीछे कारण यह है कि इस बार मतों का ध्रुवीकरण भी अगर होगा तो उससे भाजपा को कोई विशेष लाभ नहीं होता नजर आ रहा है।
भाजपा और कांग्रेस के अलावा अन्य प्रत्याशी वोट काट पाने की स्थिति में नहीं है। यह भाजपा के लिए शुभ संकेत नहीं है। कुल मिलाकर अगर आज की बात की जाए तो भाजपा और कांग्रेस फिफ्टी फिफ्टी की पोजीशन पर हैं। धीरे समीकरण किस ओर बैठते हैं यह आगे होने वाले चुनावी प्रचार पर निर्भर करेगा।