Kargil war martyr did not get honor even after two decades, elderly father wandering court
Kargil war martyr did not get honor after two decade
यहां देखें संबंधित वीडियो
चमोली सहयोगी
सीमांत जनपद चमोली के विकासखंड नारायणबगड़ के दूरस्थ क्षेत्र सिमली गांव निवासी कारगिल युद्ध शहीद (Kargil war martyr ) सतीश के पिता 20 वर्षों बाद भी बेटे को सम्मान दिलाने के लिये सरकारी दफ्तरों के चक्कर काट रहे हैं। ऐसे में देश पर शहीद होने वाले जवानों को लेकर शासन और प्रशासन की संजीदगी का अंदाजा लगाया जा सकता है।
नारायणबगड़ ब्लॉक के सिमली गांव में 5 अप्रैल 1976 को महेशानंद सती के घर सतीश चंद्र का जन्म हुआ। सतीश के दिलों दिमाग में हमेशा देश सेवा का जज्बा रहा इसके चलते वह भारतीय सेना में भर्ती हो गया। कारगिल युद्ध के दौरान 30 जून 1999 को 23 वर्ष की अल्प आयु में सतीश चंद्र देश की रक्षा करते हुए शहीद (Kargil war martyr ) हो गये।
शहीद के स्मारक निर्माण के लिये गांव के जखोली सिमार में शिलान्यास के बाद कोई निर्माण नहीं हो सका है। शासन और प्रशासन की इस लचर कार्रवाई के लिये सतीश के 82 वर्षीय पिता आज भी सरकारी घोषणाओं को जमीन पर उतारने के लिये दफ्तरों के चक्कर काट रहे हैं।
सड़क पर महज बोर्ड लगाकर करदी इतिश्री
सतीश की शहादत के बाद सरकार ने जहां शहीद (Kargil war martyr) के गांव को जोड़ने वाली नारायणबगड़-परखाल सड़क और प्राथमिक विद्यालय का नाम शहीद के नाम से रखने की घोषणा की, वहीं शहीद के नाम का स्मारक बनाने की घोषणा की गई। लेकिन शासन और प्रशासन की लापरवाही का आलम यह है कि सीएम की घोषणा के बाद सड़क पर शहीद के नाम का बोर्ड लगाया गया। लेकिन सरकारी दस्तावेजों में वर्तमान तक सड़क का नाम नहीं बदला जा सका है।