Kanwar Yatra Nameplate Row:क्या योगी सरकार के कांवड़ रूट पर नेम प्लेट वाला फैसला हो जाएगा रद्द? सुप्रीम कोर्ट में आज होगी सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट में योगी सरकार के नेम प्लेट वाले आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सोमवार 22 जुलाई को सुनवाई होगी। इस संबंध में…

Kanwar Yatra Nameplate Row: Will Yogi government's decision on the nameplate on the Kanwar route be canceled? Hearing will be held in the Supreme Court today

सुप्रीम कोर्ट में योगी सरकार के नेम प्लेट वाले आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सोमवार 22 जुलाई को सुनवाई होगी। इस संबंध में एसोसिएशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ़ सिविल राइट्स नाम के एनजीओ ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की।

NGO की याचिका में योगी सरकार के आदेश को चुनौती दी गई है और सुप्रीम कोर्ट ने इसे सुनवाई के लिए लिस्टेड किया है।

उत्तर प्रदेश में कावड़ रोड पर पड़ने वाली दुकानों पर नेम प्लेट लगाने के आदेश को चुनौती देते हुए याचिका पर सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस ऋषिकेश रॉय और जस्टिस एसवीएन भट्टी की बेंच के सामने सुनवाई होनी है। बता दें कि एसोसिएशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स एनजीओ ने यूपी सरकार के आदेश को रद्द करने की भी मांग की है।

आदेश पर किसने जताई आपत्ति?

योगी सरकार के नेम प्लेट वाले आदेश को रद्द करने की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएं दाखिल की गई जिसमें टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा, प्रोफेसर अपूर्वानंद और आकार पटेल ने अर्जियां शामिल की। प्रोफेसर अपूर्वानंद और आकर पटेल ने SC में उत्तर प्रदेश के साथ ही उत्तराखंड के उस आदेश को भी चुनौती दी है जिसमें कांवड़ रूट की दुकानों को नेम प्लेट लगाने की बात शामिल थी।

एनडीए के दल ही कर रहे विरोध

योगी के इस फैसले पर एनडीए के सहयोगी दल जदयू रालोद और लोजपा ने विरोध जताया है। राष्ट्रीय लोक दल अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री जयंत चौधरी ने भी इस फैसले पर सवाल उठाए हैं।उन्होंने कहा कि सरकार को यह निर्णय वापस लेना चाहिए। कांवड़ ले जाने वाले या सेवादार की कोई पहचान नहीं होती। धर्म या जाति की पहचान करके कोई सेवा नहीं लेता है। इस मामले को धर्म और जाति से नहीं जोड़ना चाहिए।

मैकडॉनल्ड और बर्गर का जिक्र

जयंत चौधरी ने मैकडॉनल्ड और बर्गर का असर करते हुए कहा कि ‘मालिक और ब्रांड का नाम अलग-अलग हो सकता है, इसलिए सब अपनी दुकानों पर नाम लिख रहे हैं. मैकडॉनल्ड और बर्गर किंग क्या हैं? पुराने ब्रांड हैं, एक या उससे अधिक मालिक हो सकते हैं।

सरकार ने यह फैसला ज्यादा सोच समझ कर नहीं लिया है आरएलडी प्रमुख ने हिंदू और मुस्लिम को लेकर बात की उन्होंने कहा कि मेरा मानना है कि अगर होटल पर शाकाहारी खाना बन रहा है तो वही बनना चाहिए इस से मतलब नहीं होना चाहिए कि वह खाना कौन बना रहा है? कुछ मुसलमान शाकाहारी होते हैं तो कुछ हिंदू मांसाहारी होते हैं।अब कहां-कहां नाम लिखे जाएंगे? क्या कपड़ों पर भी नाम लिखना शुरू कर दे ताकि देखकर हाथ मिलाया जाए।