किडनी की गंभीर बीमारी और आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं पत्रकार(कैमरामैन) रामपाल, मदद की जरूरत

Journalist Rampal is suffering from serious kidney disease and financial crisis, needs help गुणानंद जखमोलापत्रकार की अहमियत तब तक ही है जब तक कुर्सी है।…

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Journalist Rampal is suffering from serious kidney disease and financial crisis, needs help

गुणानंद जखमोला
पत्रकार की अहमियत तब तक ही है जब तक कुर्सी है।

  • पत्रकार संगठन सरकार के भोंपू मात्र, किसी की मदद पर साध लेते हैं चुप्पी
  • पत्रकार कल्याण कोष की नियमावली में सुधार की जरूरत

महंत इंद्रेश अस्पताल। चौथी मंजिल स्थित मेडिसिन वार्ड यूनिट दो के एक बेड पर रामपाल सिंह लेटे हैं। मैं पहुंचता हूं तो अपने बेटे पंकज की मदद से पीठ के सहारे बैठने की नाकाम सी कोशिश करते हैं।


इस बीच सिस्टर आती है। बीपी नापती है। 220/110 था। मैं चौंक जाता हूं। सिस्टर गुलूकोस लगा देती है। रामपाल बताते हैं कि कल रात भर नहीं सो पाया। बीपी 260 तक पहुंच गया था। रामपाल की दोनों किडनी खराब हो चुकी हैं। हफ्ते में तीन दिन डायलेसिस होता है। पिछले डेढ़ महीने से रामपाल अस्पताल में हैं।


मूल रूप से पौड़ी के यमकेश्वर ब्लाक निवासी रामपाल सिंह कैमरामैन हैं। पहले नेटवर्क 10 में रहे और फिर तहलका में। बाद में यूटयूबर शहजाद से जुड़ गये। रामपाल के अनुसार कोरोना काल में दो बार कोरोना हो गया और इसके बाद दोनों किडनी खराब हो गयी।
रामपाल की दो बेटियां और एक बेटा हैं। एक बेटी डीप एंड डंप है। उसने 12वीं किया। चंडीगढ़ से कंप्यूटर कोर्स भी किया। लेकिन बीमारी ने रामपाल की आर्थिक कमर तोड़ दी। दूसरी बेटी को भी आर्थिक अभाव के कारण 11वीं के बाद पढ़ाई छोडनी पड़ी। पत्नी फैक्ट्री में काम कर रही है। बीमारी में घर बिक गया तो रायपुर में किराये पर रहते हैं। पिछले मकान मालिक का 30 हजार किराया बाकी है। लाचार रामपाल कहता है कि कई बार तो अस्पताल आने के भी पैसे नहीं होते हैं।

क्या किसी ने मदद की? रामपाल की आंखों में शिकायतों के बादल उमड़ घुमड़ आए। कोई सुनवाई नहीं। जिनके साथ काम किया वो फोन नहीं उठाते। मैसेज का जवाब नहीं देते। सीएम से मदद की गुहार की चिट्ठी लगाई थी, वह भी गायब है। आज वह पाई-पाई को मोहताज है। इलाज भी पत्नी के फैक्ट्री वर्कर होने के कारण ईएसआई से चल रहा है।

समझ से परे है कि पत्रकार संगठन और पत्रकारों के लिए बना कल्याण कोष किसलिए है। जो पत्रकार काम कर रहे हैं कोष से उन्हें ही आपातकालीन स्थितियों में मदद मिलती है। जो काम कर रहे हैं तो उनकी मदद तो कोई भी कर देता है, लेकिन रामपाल जैसे पत्रकार, छायाकार और कैमरामैन की मदद कौन करेगा? पत्रकार संगठन किसलिए होते हैं? बूंद-बूंद से घड़ा भरता है। रामपाल की छोटी सी मदद भी उसके लिए डूबते को तिनके का सहारा है।

यदि संभव हो जो छोटी सी छोटी रकम संभव हो 50, 100, रुपये से भी उसकी मदद करें। वह बहुत संकट में है। बीमारी से भी और आर्थिक संकट से भी जूझ रहा है। उसका गूगल पे नंबर 8433428099 है।”
(वरिष्ठ पत्रकार गुणानंद जखमोला के फेसबुक पोस्ट से साभार संकलित)