झूलादेवी- उत्तराखंड का यह मंदिर जहां खुद देवी ने बताया जंगली जानवरों से बचने का उपाय. यहां हर मनोकामना होती है पूरी

Jhuladevi – This temple of Uttarakhand where Devi herself told her the way to avoid wild animals. Every wish is fulfilled here

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Jhuladevi – This temple of Uttarakhand where Devi herself told her the way to avoid wild animals. Every wish is fulfilled here

Jhuladevi - This temple of Uttarakhand where Devi herself told her the way to avoid wild animals. Every wish is fulfilled here
झूलादेवी मंदिर रानीखेत

अल्मोड़ा/ रानीखेत, 16 अक्टूबर – देवभूमि के नाम से जाना जाने वाला उत्तराखंड में हर स्थान पर मंदिरों की स्थापना की गई है| हर मंदिर का अपना इतिहास है तो एक वैदिक मान्यता भी है|

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अल्मोड़ा जिले के रानीखेत तहसील से चौबटिया मार्ग पर स्थित झूलादेवी मंदिर भी अतीत की शानदार मान्यताओं से परिपूर्ण है|
इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि यहां कि रखवाली आज भी शेर करते हैं|

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यहां स्थापित देवी स्थानीय लोगों की कुल देवी मानी जाती हैं। मंदिर के गेट के समीप ही एक शिलापट लगा हुआ है जिसमें मंदिर का इतिहास उकेरा गया है|
इसके अनुसार करीब 700 वर्ष पूर्व चौबटिया एक घना जंगल हुआ करता था,जो जंगली जानवर से भरा हुआ था, शेर तथा चीते यहां बसने वाले लोगो पर आक्रमण करते और उनके पालतू पशुओं को अपना आहार बनाते।

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रानीखेत झूलादेवी मंदिर


जंगली जानवरों के आक्रमणों और पशु क्षति से परेशान हो कर सभी गांव वालों ने देवी मां दुर्गा की उपासना प्रारम्भ की। मान्यता के अनुसार कहा जाता है कि मां ने प्रसन्न होकर ग्राम पीलखोली के एक व्यक्ति को स्वप्न में दर्शन दिए और कहा की ‘तुम इस विशेष स्थान पर खुदाई करो, तो तुम्हें मेरी एक प्रतिमा प्राप्त होगी। उस स्थान पर मेरे मंदिर की स्थापना करने से तुम्हें इस समस्या का समाधान मिल जाएगा’।

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इसके बाद गांव वालों ने एकत्रित होकर खुदाई प्रारम्भ की खुदाई तो वास्तव में मां की मूर्ति प्राप्त हुई। उसके बाद नियमित रूप से मां की आराधना होने लगी। कहा जाता है कि उस दिन के बाद से जंगली जानवरों का आंतक थम सा गया और स्थानीय लोग अपने पशुओं के साथ सुरक्षित रहने लगे|

यह भी कहा जाता है कि बाद में मां की इच्छा पर ही इस मंदिर में झूले डाले गए| और तब से मंदिर का नाम मां झूला देवी विख्यात हो गया।

मंदिर के पुजारी भुवन चन्द्र पंत ने बताया कि यहां मन से मांगी जाने वाली सभी मुरादें पूरी होती हैं और इन मान्यताओं की प्रतीक यहां पर मौजूद पर अनगिनत घंटिया हैं। यानि जो. भी यहां मन की मुराद लेकर आता है वह जरूर पूरी होती है और मनोकामना पूर्ण हेने पर भक्त खुशी से यहां घंटी चढ़ाते हैं| यहां चढ़ाई गई घंटियों की संख्या भी हजारों में है| और दूर से इन घंटियों की आवाज स्पष्ट रूप से सुनाई देती है। घंटियों की मधुर ध्वनि से हर किसी का मन आनंदित हो उठता है। शिलापट की जानकारी के अनुसार 700 वर्ष पहले इस मंदिर का निर्माण हुआ है|
 
रानीखेत शहर से 7 किमी की दूर चौबटिया मार्ग पर यह लोकप्रिय मंदिर स्थित है। नवरात्र पर तो मां के दरबार में भक्तों की भीड़ लगी रहती है। लोग दूर दूर से यहां आकर मन्नत मांगते हैं।

कहा जाता है कि भक्तों की हर मनोकामना को मां जरूर पूरी करती हैं। गाजियाबाद सेे मंदिर के दर्शन को आई महिला भावना ने बताया कि इस मंदिर की लोकप्रियता के बारे में सुनकर ही वह दर्शनों के लिए यहां आए हैं|