shishu-mandir

जानिये क्या कहा उत्तरा पन्त बहुगुणा ने

Newsdesk Uttranews
4 Min Read

28 जून को मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र रावत के जनता दरबार में अपनी व्यथा सुनाने पहुची शिक्षिका उत्तरा पंत बहुगुणा आज भी अपनी साथ न्याय होने के इंतजार में है। 1 महीने से ज्यादा का समय बीतने के बाद भी ना तो उनके मामले में कोई कार्यवाही हुई और ना ही उनका निलंबन वापस लिया गया। श्रीमती बहुगुणा ने आज अपने फेसबुक एकाउंट में इस प्रकरण से संबधित कई बाते साझा की कि किस तरह से उन्हे दबाब में लेने का प्रयास किया जा रहा है।
इस प्रकरण पर पेश है उत्तरा पंत बहुगुणा के उदगार जो उनकी अनुमति लेने के बाद हम हूबहू उत्तरा न्यूज में प्रकाशित कर रहे है।  :- संपादक मंडल उत्तरा न्यूज -:

new-modern
gyan-vigyan

मैं उत्तरा पंत बहुगुणा आजकल 28/6/2018 को जनता दरबार में अपने साथ हुई तानाशाही घटना का आंकलन कर रही हूँ। जिसमे कुछ लोगों के सवालों का जवाब देकर अपने दिल दिमाग में दबाए सच्च को व्यक्त करके थोड़ा बोझ हल्का हो जाएगा।
जो लोग कह रहे हैं कि अपनी राजनीति चमकाने के लिए उत्तरा का साथ दे रहे थे, वो पीछे हट कर और उत्तरा गलत और झूठी थी, इसलिए वो भी चुप हो गई। तो बता दूँ कि वो लोग गलत सोच रहे हैं।
मैंने विभागीय जांच आने तक सबसे क्षमा मांगी है। जो कि अभी तक मुझे उपलब्ध नहीं हुई है।
कुछ लोग कह रहे हैं कि मुझे देहरादून में आना था, इसलिए हंगामा किया, तो बता दूँ , मुझे प्रार्थनापत्र देना था और आदेश की प्रतीक्षा करनी थी। जैसे विगत वर्षों से करती आ रही थी।
उन्हें इस बात से भी अवगत करा दूँ , कि मेरे द्वारा माफी मांगने वाला काटछांट कर प्रस्तुत किया गया वीडियो सबने देखा। जिस पर पिता तुल्य कहे जाने पर भी कुछ लोगों को आपत्ति हुई, तो शायद वो अपनी भारतीय संस्कृति से वाकिफ नहीं हैं, कि पिता की मृत्यु के बाद घर का बेटा, चाहे वो परिवार में सबसे छोटा हो , पिता की तरह मुखिया माना जाता है, क्योंकि हमारा देश पुरुष प्रधान देश है। इन्हीं संस्कारों के चलते मैंने मुख्यमंत्री जी को पिता तुल्य कहा है। पिता हैं नहीं कहा ?

saraswati-bal-vidya-niketan

दूसरा पहलू जो गुप्त है। वो ये है। कि मेरे पास भाजपा के कुछ लोग जिन्हें मैं जानती नहीं? वरना नाम भी बता देती, आए थे , और मेरे से कहा गया कि आप अपने साथ किसी एक को ले जाकर मुख्यमंत्री से मिल लो। मुख्यमंत्री जी भी किसी एक आदमी के साथ आपको न आपके घर में, न मुख्यमंत्री के घर में, कहीं और मिलेंगे। और ना ही मीडिया आएगी, और ना ही किसी के पास फोन रहेगा।

आपका निलंबन भी रद्द कर दिया जाएगा और तबादला भी कर दिया जाएगा। ये लोग तुम्हारा क्या भला करेंगे। भला तो मुख्यमंत्री ने ही करना है।
मैंने उनसे कहा, मैंने मुख्यमंत्री को अपना प्रार्थनापत्र देना था। क्योंकि मुझे ये मालूम नहीं था कि माइक के माध्यम से अपनी समस्या भी बताई जाती है।
और मैंने उनसे ये कहकर मना कर दिया , कि जो मानव समाज बुरे समय में मेरे साथ खड़ा हुआ, मैं उनकी नजरों में गिर जाऊँगी। ये सोच कर कि सब सोचेंगे, मैंने क्या पता रुपये भी खाए होंगे, और काम भी बन गया।
मैंने उनसे ये भी कहा कि जो लोग मेरे लिए इतने बड़े बड़े झूठ बोल रहे हैं और झूठे लांछन लगा रहे हैं। क्या पता मेरे ऊपर ये झूठा आरोप लगा देंगे, कि हमने उत्तरा पंत बहुगुणा को लाखों करोड़ो रुपये दिए, तब जाकर चुप हो गई है। कई बार आए वो, और मेरा यही जवाब था।