यह है लोकतंत्र की की ताकत, चुनावी दंगल में हॉकर की पत्नी भी समाज के हर वर्ग से लोग खड़े हैं जनता की अदालत में

इलेक्सन डेस्क— इस समय पूरे देश में लोकपर्व चल रहा है जनता, जनता के लिए जनता की सरकार चुनने की संवैधानिक प्रक्रिया में भाग लेने…

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इलेक्सन डेस्क— इस समय पूरे देश में लोकपर्व चल रहा है जनता, जनता के लिए जनता की सरकार चुनने की संवैधानिक प्रक्रिया में भाग लेने वाली है। भविष्य चुना जा रहा है तो उत्साह भी वाजिब है। जनता की अदालत कहे जाने वाले चुनाव प्रक्रिया में कई प्रत्याशी मैदान में चुनावी परीक्षा में खड़ी हैं। अल्मोड़ा सीट की बात करें तो यहां छह प्रत्याशी मैदान में हैं अनुभवी, शिक्षित, अधिवक्ता, या कर्मचारी नेता सहित समाज के हर वर्ग का प्रतिनिधित्व करने वाले लोग प्रत्याशी के रूप में खड़े हैं, यह लोकतंत्र की ताकत ही कही जाएगी कि इसमें प्रत्याशी अपने अपने विचारों के साथ मैदान में खड़े हैं। इसमें उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी की विमला आर्या भी एक प्रत्याशी हैं जिनके पति पेशे से हॉकर यानि अखबार वितरक हैं जो घर—घर जाकर अखबार वितरित करते हैं। विमला खुद अधिवक्ता का कार्य करती हैं। इस युवा नेत्री को क्षेत्रीय दल उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी ने चुनाव मैदान में उतारा है। वह भी अपने विचारों के साथ जनता की अदालत में जा रही है। दूसरे क्षेत्रीय दल उक्रांद ने भी कर्मचारी नेता केएल आर्या को अपना प्रत्याशी बनाया है। केएल आर्य कर्मचारी संगठनों में लंबे समय तक कार्य कर चुके हैं। उक्रांद डेमोक्रेटिक ने भी अधिवक्ता द्रोपदी वर्मा को अपना प्रत्याशी बताना है। बसपा ने अधिवक्ता सुंदर धौनी को प्रत्याशी बनाया है। राष्ट्रीय पार्टी भाजपा ने सांसद रह चुके अजय टम्टा को प्रत्याशी बनाया है। वहीं कांग्रेस ने राज्यसभा सांसद प्रदीप टम्टा को चुनाव मैदान में उतारा है। कुल मिलाकर लोकपर्व में समाज के हर वर्ग से प्रत्याशी चुनाव मैदान में है। यही लोकतंत्र की ताकत है जो ​संवैधानिक अर्हता का पालन करने वाले हर किसी को चुनाव लड़ने की आजादी देता है। चुनाव आते जाते रहते हैं। लेकिन यह अधिकार जो जनता को मिला है वह वास्तव में यह याद दिलाता है कि हम दुनिया के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश के निवासी हैं।