कुंभ स्नान के बाद बढ़ा फेफड़ों के संक्रमण का खतरा: वैज्ञानिकों ने जल प्रदूषण पर दी गंभीर चेतावनी

प्रयागराज में कुंभ स्नान के बाद एक व्यक्ति के फेफड़ों में गंभीर संक्रमण होने की खबर ने सभी को चौंका दिया है। इस घटना ने…

Increased Risk of Lung Infection After Kumbh Bath: Scientists Warn of Severe Water Pollution

प्रयागराज में कुंभ स्नान के बाद एक व्यक्ति के फेफड़ों में गंभीर संक्रमण होने की खबर ने सभी को चौंका दिया है। इस घटना ने गंगा और यमुना के जल की गुणवत्ता और इससे जुड़े स्वास्थ्य जोखिमों को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

मरीज की हालत गंभीर, वेंटिलेटर पर भर्ती

डॉ. दीपशिखा घोष के अनुसार, मरीज की स्थिति नाजुक बनी हुई है और उसे वेंटिलेटर पर रखा गया है। रिपोर्ट के मुताबिक, यह संक्रमण तब हुआ जब कुंभ में स्नान के दौरान पानी उसके नथुनों में चला गया। यह दर्शाता है कि नदी के जल में हानिकारक बैक्टीरिया मौजूद हो सकते हैं, जो गंभीर श्वसन संक्रमण और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकते हैं।

CPCB की रिपोर्ट: गंगा-यमुना का जल स्नान के लिए असुरक्षित

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) ने राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) को सौंपे गए एक शोधपत्र में बताया कि प्रयागराज में गंगा और यमुना का पानी स्नान योग्य नहीं है। 73 स्थानों से लिए गए जल नमूनों के आधार पर पानी की गुणवत्ता को छह प्रमुख मानकों पर परखा गया:

1️⃣ pH स्तर – पानी की अम्लीयता या क्षारीयता।
2️⃣ फेकल कोलीफॉर्म बैक्टीरिया – मलजनित बैक्टीरिया की उपस्थिति।
3️⃣ बायोकैमिकल ऑक्सीजन डिमांड (BOD) – पानी में जैविक अपशिष्ट की मात्रा।
4️⃣ केमिकल ऑक्सीजन डिमांड (COD) – पानी में मौजूद रासायनिक प्रदूषकों का स्तर।
5️⃣ डिजॉल्व्ड ऑक्सीजन (DO) – जलीय जीवन के लिए आवश्यक ऑक्सीजन की मात्रा।

रिपोर्ट के अनुसार, पानी में फेकल कोलीफॉर्म बैक्टीरिया का स्तर सामान्य से अधिक पाया गया, जिससे यह स्नान के लिए असुरक्षित हो सकता है। हालांकि अन्य पांच मानकों पर पानी की गुणवत्ता संतोषजनक थी, लेकिन बैक्टीरिया की अधिकता के कारण जलजनित संक्रमणों का खतरा बढ़ जाता है।

संक्रमण के जोखिम और संभावित बीमारियां

विशेषज्ञों के अनुसार, गंदे पानी में स्नान करने से निम्नलिखित बीमारियों का खतरा हो सकता है:

🦠 गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल इंफेक्शन – मितली, उल्टी और दस्त।
🌡 टाइफॉइड और कॉलरा – दूषित जल से फैलने वाली बीमारियां।
⚠ त्वचा संक्रमण – चर्म रोग, एलर्जी और खुजली।
💨 फेफड़ों का संक्रमण – निमोनिया और श्वसन तंत्र से जुड़ी समस्याएं।

विज्ञान बनाम आस्था: संतुलन जरूरी

डॉ. दीपशिखा घोष का कहना है कि धर्म और आस्था हमारे जीवन का अभिन्न हिस्सा हैं, लेकिन वैज्ञानिक तथ्यों की अनदेखी करना खतरनाक हो सकता है। स्नान के दौरान उचित सावधानी बरतना और जल की गुणवत्ता की जानकारी रखना आवश्यक है।

सोशल मीडिया पर मिली-जुली प्रतिक्रियाएं

इस घटना के बाद सोशल मीडिया पर बहस छिड़ गई। कुछ लोगों ने इसे एक महत्वपूर्ण चेतावनी करार दिया, जबकि कुछ ने इसे स्नान की विधि से जोड़कर देखा। एक यूजर ने लिखा, “अगर जल की शुद्धता सुनिश्चित नहीं की जाती, तो लाखों लोगों की आस्था के साथ-साथ उनका स्वास्थ्य भी खतरे में पड़ सकता है।”

क्या किया जा सकता है?

🔹 कुंभ जैसे आयोजनों से पहले जल की गुणवत्ता की नियमित जांच होनी चाहिए।
🔹 जल शुद्धिकरण और अपशिष्ट प्रबंधन के लिए सरकार को कड़े कदम उठाने चाहिए।
🔹 श्रद्धालुओं को जागरूक किया जाना चाहिए कि वे स्नान करते समय सावधानी बरतें।

कुंभ जैसे धार्मिक आयोजनों में करोड़ों श्रद्धालु स्नान के लिए आते हैं, लेकिन जल प्रदूषण एक गंभीर खतरा बनता जा रहा है। वैज्ञानिक रिपोर्टों और चिकित्सा विशेषज्ञों की चेतावनी को नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए। आस्था महत्वपूर्ण है, लेकिन उसके साथ स्वास्थ्य सुरक्षा भी उतनी ही जरूरी है। अगर समय रहते इस पर ध्यान नहीं दिया गया, तो आने वाले वर्षों में यह समस्या और गंभीर हो सकती है।