उत्तराखंड में इंसानों का नहीं जमीनों का चल रहा है धर्म परिवर्तन, शाम को जमीन रहती है खाली और सुबह बन जाती है मजार

उत्तराखंड अपनी खूबसूरती के अलावा मंदिरों और प्रमुख हिंदू तीर्थ स्थलों के लिए भी हमेशा से जाना जाता है और यह बात किसी से भी…

In Uttarakhand, conversion of land is going on, not of people, the land remains empty in the evening and becomes a shrine in the morning

उत्तराखंड अपनी खूबसूरती के अलावा मंदिरों और प्रमुख हिंदू तीर्थ स्थलों के लिए भी हमेशा से जाना जाता है और यह बात किसी से भी छुपी नहीं है कि भारत में अन्य समुदाय के लोग भी काफी तेजी से बढ रहे हैं। अब ऐसे हालात कई देशों में भी देखने को मिल रहे हैं।

ज्यादा से ज्यादा बच्चे पैदा कर लोग अपने धर्म का विस्तार कर रहे हैं। इस कोशिश से देवभूमि भी अछूती नहीं है जहां बीते दिनों राजस्थान में लोगों को छिपकर धर्मपरिवर्तन करने की पट्टी पढ़ाने वाले गैंग का खुलासा हुआ था, वहीं अब देवभूमि में जमीनों का धर्मपरिवर्तन किया जा रहा है।

अब सोचने वाली बात यह है कि इंसानों का धर्म परिवर्तन तो होता है लेकिन जमीनों का धर्म परिवर्तन कैसे हो रहा है? दरअसल यहां पर कई सरकारी जमीनों पर अवैध मजारों का निर्माण किया जा रहा है। यह मजरे रातों-रात बना दी जाती हैं और शाम तक जिस जमीन पर घास दिखाई देती है। अगली सुबह वहां मजार बन जाती है। ऐसा यहां पर बड़ी संख्या में अवैध मजारे बनाई जा रही है और सरकारी जमीनों पर अतिक्रमण किया जा रहा है। इससे पहले काफी देर हो जाए प्रशासन को एक्शन लेने की जरूरत है।

बीते दिनों हल्द्वानी कैंट एरिया में अचानक ही कई मजार बना दी गई। वही काठगोदाम रेलवे स्टेशन के पास भी वन भूमि पर एक मजार बनाई गई और इसके साथ एक भव्य इमारत भी बना दी गई। इसे लेकर वन विभाग ने नोटिस भी जारी किया। यह मजार तक सामने आई जब सड़क चौड़ीकरण की वजह से झाड़ियां को काटा जा रहा था। मजार प्रोजेक्ट के बीच में आ रही थी तब इसे तोड़ा जाने लगा तो समुदाय के लोग इसका विरोध करने लगे और बदले में दूसरी मजार बनाने के लिए जमीन मांगने लगे।

मुस्लिम समाज के कुछ लोग अवैध मजारों का निर्माण कर सरकारी जमीन पर हक जताने लगे हैं। कई जगहों पर मजार बनाकर उसके आसपास पूरा मोहल्ला बसा दिया जाता है। जब इसका विरोध किया जाता है तो वह आक्रामक हो जाते हैं। अभी तक उत्तराखंड में 1000 से अधिक अवैध मजार बन चुकी हैं। यह मजार या तो वन विभाग की जमीन पर बनी है या फिर सरकारी जमीनों पर बनाई गई है। धीरे-धीरे जमीनों पर कब्जा जमाने का यह खेल सामने आ रहा है।