अगले पाँच सालों में पूरी दुनिया के पास होगा जलवायु परिवर्तन का अर्लि वार्निंग सिस्टम

संयुक्त राष्ट्र के प्रमुख ने बुधवार को एक ऐसी परियोजना की घोषणा की, जिसमें पृथ्वी पर मौजूद प्रत्येक व्यक्ति के लिए अगले पांच साल में…

IPCC report on climate change paints a frightening picture

संयुक्त राष्ट्र के प्रमुख ने बुधवार को एक ऐसी परियोजना की घोषणा की, जिसमें पृथ्वी पर मौजूद प्रत्येक व्यक्ति के लिए अगले पांच साल में अर्लि वेदर वार्निंग सिस्टम, या मौसम-चेतावनी प्रणाली, तक पहुँच सुनिश्चित की जाएगी। ऐसा करना अब इसलिए ज़रूरी हो गया है क्योंकि जलवायु परिवर्तन के कारण प्राकृतिक आपदाएं न सिर्फ अधिक शक्तिशाली हो गई हैं, उनकी आवृति भी बढ़ गयी है।


इस योजना की घोषणा करते हुए संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने कहा कि जिनेवा स्थित विश्व मौसम विज्ञान संगठन के सहयोग से इस परियोजना का क्रियान्वयन होगा और इसका उद्देश्य होगा समृद्ध देशों द्वारा प्रयोग की जा रही ऐसी प्रणालियों को विकासशील देशों के लिए उपलब्ध कराना।


गुटेरेस ने कहा, “आज, दुनिया के एक तिहाई लोग, मुख्य रूप से कम विकसित देशों और छोटे द्वीप विकासशील राज्यों में, अभी भी प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली से दूर हैं। अफ्रीका में तो हालत और भी बुरी है और वहाँ 60% लोगों के पास ऐसे कवरेज की कमी है।”


वो आगे कहते हैं, “बदतर होते जलवायु प्रभावों को देखते हुए, यह अस्वीकार्य है। हमें अब अर्लि वार्निंग सिस्टम की ताकत हर किसी तक पहुंचानी होगी जिससे सबकी कार्य क्षमता बेहतर हो सके।”


अपनी बात समझाते हुए वो बोले, “मानव जनित जलवायु व्यवधान अब हर क्षेत्र को नुकसान पहुँचा रहा है। इंटरगवर्नमेंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज की सबसे हालिया रिपोर्ट पहले से हो रही पीड़ा का विवरण देती है। ग्लोबल वार्मिंग की प्रत्येक वृद्धि चरम मौसम की घटनाओं की आवृत्ति और तीव्रता को और बढ़ाएगी। इसी वजह से अर्ली वार्निंग सिस्टम प्रासंगिक बन जाते हैं।”


दरअसल अर्ली वार्निंग सिस्टम्स ऐसी प्रारंभिक चेतावनी प्रणालियां होती हैं जो आने वाली मौसम की घटनाओं की भविष्यवाणी करने में मदद करती हैं। ऐसा करने के लिए यह सिस्टम समुद्र और जमीन पर वास्तविक समय की वायुमंडलीय स्थितियों की निगरानी करता है।


ऐसी प्रणालियों के उपयोग का विस्तार करना ज़रूरी हो गया है क्योंकि फैसले लेने का समय अधिक मिल जाता है इन प्रणालियों की मदद से।


पिछले साल जारी किए गए आपदा के आंकड़ों पर विश्व मौसम विज्ञान संगठन की एक रिपोर्ट से पता चला है कि पिछली आधी सदी में, जलवायु या पानी से संबंधित आपदा प्रतिदिन औसतन होती है, जिसके परिणामस्वरूप औसतन 115 मौतें होती हैं और एक दिन में $202 मिलियन का नुकसान होता है।


संयुक्त राष्ट्र, उसके सहयोगी और कई सरकारें वैश्विक तापमान वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस (2.7 डिग्री फ़ारेनहाइट) तक सीमित करने के तेजी से बढ़ते लक्ष्य तक पहुँचने का प्रयास कर रही हैं।


गुटेरेस ने संयुक्त राष्ट्र की मौसम एजेंसी WMO को नवंबर में मिस्र में होने वाले अगले संयुक्त राष्ट्र जलवायु सम्मेलन तक प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली पर एक “कार्य योजना” को आगे बढ़ाने का निर्देश दिया है।


WMO ने अपने कुछ मौजूदा कार्यक्रमों जैसे उष्णकटिबंधीय चक्रवातों, बाढ़ और तटीय बाढ़ जैसे खतरों के लिए एक बहु-खतरा चेतावनी प्रणाली के साथ-साथ एक प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली बनाने की योजना बनाई है जो लोगों को कुछ प्रकार की आपदाओं के जोखिम के बारे में सूचित करने में मदद करती है।


नैरोबी स्थित थिंक टैंक पावर शिफ्ट अफ्रीका के निदेशक मोहम्मद अडो ने कहा कि यह “सरहनीय” है कि अफ्रीका में लोगों को प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली से सुरक्षा मिल रही है, लेकिन यह काम यहीं नहीं रुकना चाहिए।


एडो ने कहा, “शुरुआती चेतावनी प्रणालियां लोगों की जान बचाने के लिए महत्वपूर्ण हैं, लेकिन हमें केवल मौतों को रोकने पर ही नहीं रुकना चाहिए।”


उन्होंने कहा, “वैश्विक समुदाय को यह सुनिश्चित करने की जरूरत है कि जलवायु आपदाओं के शिकार लोगों को जीवित रहने के लिए नहीं, बल्कि पनपने में मदद की जाए।”