जल स्रोतों के संरक्षण के लिए हो रहे अहम कार्य 11 राज्यों के1350 स्रोतों का हो चुकी है जियो सूचीकरण,पढ़े पूरी खबर

जल स्रोतों के संरक्षण के लिए हो रहे अहम कार्य 11 राज्यों के1350 स्रोतों का हो चुकी है जियो सूचीकरण,पढ़े पूरी खबर

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हिमालयी राज्यों को जल सुरक्षा देना सरकार की प्राथमिकताः अग्रवाल

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photo uttranews

उत्तरा न्यूज अल्मोड़ा। ‘हिमालयी राज्यों को जल सुरक्षा देना केंद्र सरकार की प्राथमिकताओं में है और हमें इसके लिए ठोस स्थायी प्रयासों को बल देना होगा’ यह बात वन पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय भारत सरकार के अतिरिक्त सचिव रवि अग्रवाल ने यहां सोमेश्वर क्षेत्र में एक परियेाजना के स्थलीय निरीक्षण के दौरान कही। गोविंद बल्लभ पंत पर्यावरण संस्थान कोसी के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं राष्ट्रीय हिमालयी अध्ययन मिशन के नोडल अधिकारी ई0 किरीट कुमाने ने उन्हें जल अभ्यारण्य की अवधारणा पर किए जा रहे रहे कार्येां की प्रगति रिपोर्ट प्रस्तुत की तथा कौसानी क्षेत्र के काटली गाॅव में कोसी नदी के उद्गम क्षेत्र में किए जा रहे उपचारों को निरीक्षण कराया। इस दौरान मंत्रालय से वरिष्ठ सलाहकार ललित कपूर और वन विभाग के अधिकारी एवं अन्य परियोजना सहायक भी उनके साथ थे। ई0 किरीट कुमार ने बताया कि किस प्रकार मिशन के तहत मध्य हिमालयी घाटियों में जलस्रोत संरक्षणनीय अवधारणा पर कार्य करते हुए जल स्रोतों एवं स्रोत आधारित जलधाराओं का पुनरुद्धार का कार्य वैज्ञानिक विधि से किया जा रहा है। इसमें जल संरक्षण के वैज्ञानिक तौर तरीकों को अपनाया जा रहा है और क्षेत्र में पौध रोपण, ट्रेंच, खाल आदि के द्वारा भी साल भर जल का संरक्षण किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि कोसी जलागम क्षेत्र में अधिकांष जलस्रोतों को सूचीबद्ध किया जा चुका है तथा विभिन्न आधुनिक उपकरणों को स्थापित कर जल निगरानी की जा रही है। उन्होंने बताया कि अब तक कोसी और रिस्पना नदी के संरक्षण में माॅडल को बडे़ स्तर पर व्यवहारिक रूप दिया जा चुका है एवं इसके परिणाम भी दिखाई दे रहे हैं। जल अभ्यारण्य के कार्य की प्रगति पर सूचित करते हुए उन्होंने बताया कि अब तक 11 राज्यों में 1350 से अधिक जलसा्रेतों का जियो सूचीकरण हो चुका है तथा बड़ी संख्या में संकटग्रस्त स्रोतों को चिन्हित कर उनके संरक्षण की कार्ययोजना बनाई जा रही है। इस अवसर पर अपर सचिव ने कहा कि हमें हर जलस्रोत को संरक्षित करते हुए जनसामान्य को उसके संरक्षण से जोड़ना होगा। उन्होंने वनों में पषुओं के लिए कुछ स्थायी जल केंद्र भी विकसित करने का सुझाव दिया। उन्होंने विभिन्न जलस्रोतों पर किए जा रहे उपचारों का स्थलीय निरीक्षण किया और कार्यों पर संतोश जताया और आवष्यक सुझाव भी दिए। उन्होंने क्षेत्र में नए पर्यटक स्थल के रूप में रूद्रधारी का चयन करने और उसक प्रचारित प्रसारित करने के कार्याे के साथ क्षेत्र में स्वच्छता के लिए किए गए कार्यों की भी सराहना की। इस अवसर पर परियोजना वैज्ञानिक डाॅ ललित गिरी, वन क्षेत्राधिकारी विशन लाल, जगदीष पाण्डे, विक्रम नेगी, दिनेषचंद्र पाण्डे, आदि इस अवसर पर उनके साथ थे।