पर्यावरण संस्थान अल्मोड़ा में वन आधारित संसाधन और आजीविका विकल्प विषय पर राष्ट्रीय कार्यशाला आयोजित

अल्मोड़ा। गोविन्द बल्लभ पन्त राष्ट्रीय हिमालयी पर्यावरण संस्थान, कोसी कटारमल, अल्मोड़ा में आज दिनांक 3 नवम्बर, 2022 को वन आधारित संसाधन और आजीविका विकल्प विषय…

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अल्मोड़ा। गोविन्द बल्लभ पन्त राष्ट्रीय हिमालयी पर्यावरण संस्थान, कोसी कटारमल, अल्मोड़ा में आज दिनांक 3 नवम्बर, 2022 को वन आधारित संसाधन और आजीविका विकल्प विषय पर एक दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला सह विचार मंथन का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला का आयोजन पर्यावरण संस्थान ने उत्तराखंड राज्य विज्ञान और प्रौद्योगिकी परिषद, देहरादून एवं नेशनल मिशन फॉर सस्टेनिंग द हिमालयन इकोसिस्टम (निमशी) टास्क फोर्स 3 विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग भारत सरकार के सहयोग से किया। कार्यशाला का उद्देश्य, उत्तराखंड पर केंद्रित भारतीय हिमालयी क्षेत्र में वन आधारित संसाधनों पर ज्ञान की वर्तमान स्थिति पर विचार-विमर्श करना, स्थानीय समुदाय की आय और आजीविका में वन संसाधनों की भूमिका को समझना एवं वन संसाधनों को आजीविका के स्रोत के रूप में उपयोग करने और उनके संरक्षण और प्रबंधन के लिए रणनीति विकसित करना था।

कार्यशाला का उद्घाटन मुख्य अतिथि प्रो0 आर0 के0 मेखुरी एच.एन.बी. गढ़वाल केन्द्रीय विश्वविद्यालय, श्रीनगर, विशिष्ठ अतिथि एस. टी. एस. लैप्चा पूर्व पी.सी.सी.एफ. देहरादून एवं सम्मानित अतिथि प्रो० जीत राम, प्रमुख, वानिकी विभाग, कुमाँऊ विश्वविद्यालय, नैनीताल तथा 5 हिमालयी राज्यों से आये 25 विभिन्न सरकारी एवं गैर सरकारी संस्थाओं के प्रतिनिधियों की उपस्थिति में हुआ। इस कार्यशाला में देश के हिमालयी क्षेत्रों में कार्य कर रहे विषय विशेषज्ञों, वैज्ञानिकों, प्रबंधकों, योजनाकारों, वन अधिकारियों, गैर सरकारी संगठन के प्रतिनिधियों, सामुदायिक प्रतिनिधियों एवं शोधकर्ताओं सहित 80 से अधिक व्यक्तियों ने प्रतिभाग किया।

कार्यक्रम के उदघाटन सत्र में संस्थान के निदेशक प्रो० सुनील नौटियाल द्वारा स्वागत संबोधन प्रेक्षित किया गया। उन्होंने कहा कि भारतीय हिमालयी क्षेत्र में वन आधारित संसाधनों तथा क्षेत्र में स्थानीय समुदायों की आय और आजीविका में वन संसाधनों की भूमिका को समझने के लिए गैर सरकारी संस्थानों और सरकारी शोध संस्थानों को एक साथ मिल कर कार्य करने की आवश्यकता है। तद्पश्चात उत्तराखंड राज्य विज्ञान और प्रौद्योगिकी परिषद, देहरादून के वरिष्ठ वैज्ञानिक अधिकारी डा० आशुतोष मिश्रा ने परियोजना के बारे में प्रतिभागियों को विस्तृत जानकारी दी तथा उत्तराखंड पर केंद्रित भारतीय हिमालयी क्षेत्र में वन संसाधनों को आजीविका के स्रोत के रूप में उपयोग करने और उनके संरक्षण और प्रबंधन के लिए रणनीति विकसित करने हेतु वृहद् चर्चा करने की आवश्यकता पर बल दिया।

कार्यक्रम को आगे बढ़ाते हुए संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिक डा० आई०डी० भट्ट द्वारा प्रतिभागियों को कार्यक्रम की रूपरेखा तथा गतिविधियों की विस्तृत जानकारी दी गयी। उन्होंने बताया कि यह कार्यशाला संस्थान में चल रही विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग भारत सरकार की नेशनल मिशन फॉर सस्टेनिंग द हिमालयन इकोसिस्टम (निमशी) टास्क फोर्स 3 परियोजना के सौजन्य से आयोजित की जा रही है।

कार्यशाला में तीन तकनीकी सत्र आयोजित किये गए। पहले सत्र का विषय वन आधारित संसाधनों पर ज्ञान की वर्तमान स्थिति, दूसरे सत्र का विषय “वन आधारित संसाधन और आजीविका विकल्प” तथा तीसरे सत्र का विषय “एन.टी.एफ.पी. की क्षमता के सतत दोहन के लिए रणनीतियां और आगे का रास्ता था।

कार्यशाला के सत्रों की रेपोरटेयरिंग डा० विक्रम नेगी, डा० सतीश चन्द्र आर्य, डा० आशीष पाण्डेय, डा० रोमिला चंद्रा, डा० रवींद्र जोशी तथा डा० मोनिका ने की। कार्यशाला का संचालन संस्थान के वैज्ञानिक डा० आशीष पाण्डेय ने किया। कार्यशाला में संस्थान के वैज्ञानिक डा० के०सी० सेकर, डा० सतीश चन्द्र आर्य, डा० आशीष पाण्डेय, डा० विक्रम नेगी डॉ रवींद्र जोशी तथा संस्थान के शोध छात्रों सहित 80 से अधिक प्रतिभागियों ने प्रतिभाग किया। संस्थान के निदेशक ने इस कार्यशाला को हिमालयी क्षेत्र के सन्दर्भ में बहुत महत्वपूर्ण बताया और इसकी सफलता हेतु सभी को शुभकामनायें दी। कार्यशाला का समापन पर्यावरण संस्थान, कोसी कटारमल, अल्मोड़ा के वैज्ञानिक डा० के०सी० सेकर के धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ।