कही आप तो नहीं ले रहें नकली दवाई, इस तरह पता लगाए असली दवा का पता, देखिए

दवाओं के बाजार में नकली और असली दवाओं का खेल खूब चल रहा है। हाल ही में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने बड़ी कार्रवाई करते हुए…

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दवाओं के बाजार में नकली और असली दवाओं का खेल खूब चल रहा है। हाल ही में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने बड़ी कार्रवाई करते हुए कोलकाता के एक थोक दवा कारोबारी के यहां कैंसर और डायबिटीज की नकली दवाओं का जखीरा बरामद किया था।


इन दवाओं की कीमत करीब 6.6 करोड़ रुपये आंकी गई थी । इसमें चिंता की बात तो यह है कि यह दवाएं जल्द ही बाजार में आने वाली थीं।


भारत के कई शहरों में आज भी कई लोग बीमार होने पर डॉक्टर के पास जाने के बजाय सीधे मेडिकल स्टोर पहुंच जाते हैं। केमिस्ट से पूछकर हम दवाई खा लेते हैं और कई बार ठीक भी हो जाते हैं। हालांकि, यह दवाई नकली हुई तो आपको लेने के देने पड़ सकते हैं।

ऐसे में इस बात की पहचान बहुत जरूरी है कि आप नकली दवाई लेकर घर आ रहे हैं या फिर असली? हालांकि एक आम आदमी नकली और असली दवाओं की पहचान कैसे करे? चलिए जानते हैं….


हमें हमेशा डॉक्टर की सलाह से ही दवाई लेनी चाहिए और डॉक्टर के बताए अनुसार ही उनका सेवन करना चाहिए। यह तरीका सही है और इससे संभवत: नकली दवाओं से बचा जा सकता है। हालांकि, इसके बाद भी हमें कई बातों का ध्यान रखना चाहिए।


आप जब भी दवा खरीदने जाएं तो दवाओं के रैपर के ऊपर एक क्यूआर कोड होता है उसको जरूर देखें। असली दवाओं पर यह क्यूआर कोड होता है, जिसे आप मोबाइल से स्कैन कर सकते हैं। इसमें दवा और इसकी सप्लाई चेन के बारे में पूरी जानकारी दी जाती है।


यदि आप किसी दवा पर क्यूआर कोड नहीं है तो दवा नकली भी हो सकती है। इस तरह की दवाओं को ना ले। नियम के मुताबिक, 100 रुपये से ऊपर की कीमत वाली सभी दवाओं में क्यूआर कोड लगाना अनिवार्य है। यदि दवा के रैपर पर क्यूआर कोड नहीं है, तो उन्हें खरीदने से बचें।


दवाइयों पर क्यूआर कोड एडवांस वर्जन का होता है, जिसकी पूरी डिटेल सेंट्रल डेटाबेस एजेंसी जारी करती है। हर दवा के लिए क्यूआर कोड भी बदला जाता है। इसलिए नकली क्यूआर कोड बनाना मुश्किल है।


दवाओं के रैपर पर एक हेल्पलाइन नंबर भी दिया जाता है। अगर आपको दवा पर शक है तो उस नंबरपर SMS करना होगा। इसके बाद कंपनी आपको जानकारी भेजकर बताएगी कि यह दवा असली है या फिर निकली।

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