जिस खेल का नाम ही मौत का कुआं वह कैसे दे सकता है स्वस्थ्य मनोरंजन,युवा पीढ़ी ने भी कहा बंद हो ऐसे आयोजन,आयोजन स्थल पर भी दिखी कई खामियां

How can the name of the game give the well of death, healthy entertainment, the younger generation also said that such events should be stopped, many flaws were seen at the venue too.

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numaish velding

उत्तरा न्यूज अल्मोड़ा। मनोरंजन के लिए मुर्गों की लड़ाई, बाघों की लड़ाई,​जलीकट्टू जैसे खेलों का आयोजन सदियों से मानव करता रहा है। बाद में सर्कस और नुमाईस के नाम पर कई हैरतअंगेज खेलों का आयोजन हुआ है जो इस नए दौर में नई तकनीकों के सहारे लोगो के सामने लाए जा रहे हैं। लेकिन अब नई पीढ़ी इस प्रकार के खेलों को सुरक्षा की दृष्टि से भी देख रही है।

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अल्मोड़ा में सोमवार की रात हुए हादसे को भले ही हादसे का नाम दिय जा रहा हो लेकिन लोगों ने कई सवाल भी उठाए हैं। सुबह उत्तरा न्यूज की टीम जब आयोजन स्थल पर पहुंची तो वहां मौत का कुंआ संचालन करने वाले कोई भी मौजूद नहीं थे। ऐसी जानकारी कुंए के आस पास बैठे लोगों ने दी।

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मैदान में घूमने आई युवतियों आसमां और रजनी ने बताया कि कई कारण इस दुर्घटना के हो सकते हैं। बाइकर ट्रेंड है या नहीं, बाइक में कोई खराबी तो नहीं या फिर भीड़ ने अचानक घ्यान भंग तो नहीं किया। इस सबकी जिम्मेदारी आयोजकों की बनती है। नई पीढ़ी की इन युवतियों ने कहा कि जिस खेल का नाम ही मौत का कुंआ है वह स्वस्थ्य मनोरंजन कैसे देख सकता है। ऐसे में या तो इस खेल का नाम बदले या नए दौर में इस प्रकार के खेल के नाम पर स्टंट का आयोजन नहीं होना चाहिए।

मौत के कुंए की ओर जाने वाली सीढ़िया भी कमजोर,वेल्डिंग कर जोड़ी है सीढ़िया

मौत के कुंआ नाम खेल जमीन से कई फिट ऊंचा उठाया जाता है। टॉप पर जाकर ही दर्शक खेल को देख सकता है। ऐसे में दर्शकों को एक सीढ़ी पर चढ़कर टॉप तक पहुंच सकता है। ऐसे में मौत के कुंए तक जाने वाली सीढ़ियां वेल्डिंग कर जोड़ी गई हैं। घटना के बाद अब लोगों का ध्यान इस ओर गया है। लोगों का कहना है कि जब भीड़ इन सीढ़ियों पर गुजरती है तो कमजोर सीढ़ियां कभी भी किसी हादसे को जन्म दे सकती हैं। मालूम हो कि अल्मोड़ा में फन फेयर नाम के इस नुमाईश को यहां 25 दिन चलना है। एक नवंबर को डीएम नितिन सिंह भदौरिया ने इसका उदघाटन किया था।