साहब! ईगास का अवकाश (holiday of egas)केवल चुनावी वर्ष में ही था क्या ? अवकाश कलेंडर तो कुछ ऐसा ही कह रहा है

holiday of egas

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holiday of egas

उत्तरा न्यूज: दीवाली के ठीक 11 दिन बाद पड़ने वाले उत्तराखंड के लोक पारंपरिक त्यौहार ईगास holiday of egasकी चर्चा हर किसी के जुबां पर थी। कोई इसे राज्य का लोक पर्व बता रहा था तो कोई ऐसा त्यौहार जो हमारी सांस्कृतिक जड़ों को पोषण देने वाला है।


राजनीति से जुड़े लोगों ने तो इस पर्व को उत्तराखंड की एकता और सांस्कृति के साथ जोड़ा। कोई सोशल मीडिया से इसे भव्यता से मनाने का आह्वान कर रहा था तो किसी ने इस अवसर पर अपने लाव लश्कर के साथ भ्रमण कार्यक्रम तय कर दिये।सरकार ने इस अवधि के दिन सार्वजनिक अवकाश (holiday of egas)की घोषणा तक कर दी और जब यह पता लगा कि इस वर्ष इगास पर्व के दिन रविवार है तो उदारता दिखाते हुए ईगास के अगले दिन यानि 15 अक्टूबर की छुट्टी की घोषणा कर दी।
(holiday of egas)


इसके बाद यह लग रहा था कि राज्य स्थापना दिवस के बाद सरकार इस पर्व को मनाने के लिए सबसे अधिक उत्साहित है।


यूं तो उत्तराखंड में कई पर्व मनाए जाते हैं। यह पर्व सदियों से मनाए जाते रहे हैं। किन्ही पर्वों में अवकाश दिया जाता है तो किन्ही में नहीं बावूूजूद जनता के सरोकारों से यह पर्व हर साल मनाए जाते रहे हैं।

इगास भी एक ऐसा ही पर्व है जो पूरे उत्साह से उत्तराखंड में मनाया जाता है। कभी भी यहां की जनता ने इसकी छुट्टी की मांग नहीं की। लेकिन पर्व को मनाया पूरी शिद्दत से। इसे गढ़वाल क्षेत्र में इगास तो कुमाऊं क्षेत्र में बूढ़ी दिवाली के रूप में मनाया जाता रहा है।

इस साल सरकार, विपक्ष और राजनीति से जुड़ी हर सख्सियत इस पर्व को लेकर अति उत्साहित थी। लेकिन जब अगले वर्ष छुट्टियों का कलेंडर घोषित किया गया तो इसमें इगास का अवकाश देना शायद सरकारी मशीनरी भूल गयी या उसे इसकी जरूरत नही लगी।

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हालांकि (holiday of egas)अवकाश की मांग जनता की ओर से कभी भी नहीं आई यह सरकार की ओर से दिया गया अवकाश था लेकिन यदि इस पर्व को लेकर सरकार इतनी ही सजग थी ​तो इसे आगामी कलेंडर में शामिल क्यों नहीं किया गया यह एक सोचने वाला विषय है। तब विपक्ष भी इस पर्व को लेकर खूब शोर मचा रहा था।

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इस बार के कलेंडर में निर्दिष्ट अवकाशों के रूप में गुरू गोविंद सिंह जयंती, चेटीचंद,विश्वकर्मा पूजा और गुरू तेगबहादुर शहीद दिवस के अवकाश रखे गए हैं लेकिन इगास का अवकाश की सूचना नहीं है। इसके बाद यह प्रश्न उठ रहा है कि क्या यह केवल उत्साह केवल आगामी चुनाव के लिए था या सरकार इसके प्रति गंभीर भी थी।

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