बग्वालीपोखर के पोखरम में पांचवे होली महोत्सव (holi mahotsav)की धूम

बग्वालीपोखर के पोखरम में पांचवे होली महोत्सव (holi mahotsav)की धूम

कुमाउंनी होली( kumauni holi) के शास्त्रीय रागों के नाम रहा होली महोत्सव(holi mahotsav)

अल्मोड़ा: बग्वालीपोखर स्थित पोखरम संस्थान में शास्त्रीय पक्ष वाली बैठकी होली का पाँचवां महोत्सव(holi mahitsav) बड़े धूमधाम से मनाया गया.

Holi mahotsav

कुमाउंनी होली(kumauni holi) का अपना ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्त्व है. यह कुमाउनी लोगों के लिए सबसे महत्वपूर्ण त्यौहारों में से एक है। प्रारम्भिक अवस्था में इसका स्वरूप कैसा था यह कहना कुछ मुश्किल होगा. किन्तु यह निश्चित रूप से कहा जा सकता है कि कुमाऊं की यह विधा अपने आप में एक लम्बा इतिहास समेटे हुए है.

Holi mahotsav

ऐसी मान्यता है कि कि चन्द शासन काल में यह विधा मौजूद थी. एक दूसरी मान्यता के अनुसार ऐसा कहा जाता है कि उन्सीसवीं शताब्दी के प्रारम्भ में बैठकी होली गायन का श्रीगणेश अल्मोड़ा में मल्ली बाजार स्थित हनुमान जी के मंदिर से हुआ. इसका इतिहास जो भी रहा हो आज पोखरम की होली की चर्चा दूर-दूर तक होती है जिसमें दूर-दूर से होली गायक शामिल होते हैं.

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पोखरम(pokharam) की होली की चर्चा दूर-दूर तक होती है.इसी कड़ी में पोखरम संस्थान के पांचवे होली महोत्सव का शुभारंभ किया गया.

होली गायन से पूर्व संस्था के संरक्षक मोहन सिंह बिष्ट, संस्था के निदेशक त्रिभुवन बिष्ट, निर्मल पंत, शिव दत्त पांडे, ललित त्रिपाठी, राजेन्द्र प्रसाद त्रिपाठी आदि ने दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया. इसके बाद मुख्य अथिति एवं विशिष्ट अतिथियों को स्मृति चिन्ह प्रदान किये गए. बैठकी होली गायकी को प्रोत्साहित करने के लिए पोखरम संस्थान प्रति वर्ष बैठकी होली गायकी सम्मान प्रदान करता है. इस बार “पोखरम होली बैठकी सम्मान-2020” निर्मल पंत (अल्मोड़ा) एवं नवीन बिष्ट (बग्वालीपोखर) को दिया गया.


“पोखरम होली महोत्सव 2020” में रामनगर, हल्द्वानी, नैनीताल, अल्मोड़ा, स्याल्दे, द्वाराहाट, चौखुटिया, लखनऊ, हरिद्वार, दिल्ली आदि स्थानों से आये हुए नामचीन होल्यारों के साथ शास्त्रीय संगीत की इस अनूठी रात्रि में सैकड़ों लोग साक्षी बने.

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इस मौके पर मोहन सिंह बिष्ट ने जंगला काफी में ‘होली खेलें पशुपतिनाथ नगर नेपाल में’, ललित त्रिपाठी ने  ‘‘हो मुबारक मंजरी फूलों भरी, ऐसी होली खेलें जनाब अली बारादरी में रंग बनो है, कुंजन बीच मची होरी’’, अल्मोड़ा से आये धीरू उस्ताद ने राग पीलू में “ब्रज में उड़त गुलाल” और निर्मल पंत ने राग क्यान में “मुरली नागिन सौं”, अमरनाथ भट्ट ने राग काफी में “कैसी ये धूम मचाई” रागों से मन मोह लिया.

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होली गाने वालों में मुख्य रूप से ललित त्रिपाठी, मोहन सिंह बिष्ट, निर्मल पंत, दीप जोशी, चंद्रशेखर, निधि जोशी, नवीन बगाना, सतीश पांडे, मनोज पांडे, नवीन बिष्ट आदि प्रमुख रूप से उपस्थित रहे।

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