हिमालयी जैव विविधता (Himalayan Biodiversity) अपार संभावनाओं से भरी- करने होंगे गंभीर शोध

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“हिमालयी जैव विविधता (Himalayan Biodiversity) अपार संभावनाओं से भरी है। यहां के सरिसृप, आर्किड, जीवों, पुष्पों, परिस्थितिकीय परिवर्तनों, जलीय जीवों तितलियों और कीटों आदि पर हो रहे अनुसंधान महत्वपूर्ण है शोधार्थियों को इस दिशा में गंभीरता से समाजोन्मुखी शोध कार्य को निरंतर जारी रखना होगा।”

अल्मोड़ा, 04 फरवरी 2021- “हिमालयी जैव विविधता (Himalayan Biodiversity) अपार संभावनाओं से भरी है।

यहां के सरिसृप, आर्किड, जीवों, पुष्पों, परिस्थितिकीय परिवर्तनों,जलीय जीवों तितलियों और कीटों आदि पर हो रहे अनुसंधान महत्वपूर्ण है शोधार्थियों को Himalayan Biodiversity की दिशा में गंभीरता से समाजोन्मुखी शोध कार्य को निरंतर जारी रखना होगा।”

यह बात विभिन्न विषय विशेषज्ञों ने जीबी पंत पर्यावरण संस्थान के राष्ट्रीय हिमालयी अध्ययन मिशन के  शोधार्थी सम्मेलन के अंतिम दिन कहीं।

राष्ट्रीय हिमालयी अध्ययन मिशन के छठे शोधार्थी सम्मेलन के दूसरे दिन 18 से अधिक शोधार्थियों ने ऑनलाईन अपने शोध कार्यों की प्रस्तुति दी और विभिन्न तकनीकी सत्रों में विषय विशेषज्ञों ने उनके शोध कार्य की गंभीरता को परखा।

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दो दिवसीय इस सम्मेलन में 6 हिमालयी राज्यों से 28 शोधार्थियों ने प्रतिभाग किया। प्रथम सत्र में भारतीय वन्यजीव संस्थान देहरादून के डॉ जी.एस. रावत, बॉटनिकल सर्वे ऑफ इण्डिया के डॉ डी. के. सिंह, वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ एस. के नंदी,वानिकी शोध संस्थान देहरादून के डॉ एच.एस. गिनवाल ने शोध प्रस्तुतियों का मूल्यांकन किया।

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इस अवसर पर बाबा गुलाम साह बादशाह विश्वविद्यालय जम्मू कश्मीर के साजिद खान, शेर ए कश्मीर विश्वविद्यालय जम्मू कश्मीर के उमर अता, बॉटनिकल सर्वे ऑफ इण्डिया से डॉ रिजूपालिका रॉय, व श्रयाशी नायक, संचायता सेन गुप्ता, सैक चक्रवर्ती, स्वाद्वीप सरकार, ओंद्रिला चक्रवर्ती आदि ने अपने शोध कार्यो की प्रस्तुति दी।

द्वितीय तकनीकी सत्र में सिक्किम मणिपुर विश्वविद्यालय से अभिषेक ब्याहुत, सलूनी विश्वविद्यालय हिमाचल प्रदेश से डॉ मीनाक्षी व रोहित कुमार नड्डा, राष्ट्रीय औषधीय शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान असम से डॉ साहबुद्दीन अहमद, डॉ दीपक भारद्वाज, सिद्धी जैन, शांतनू, दाता मरोती पवड़े, चौधरी विशाल शरद, व एश्वर्या जाला ने अपनी प्रस्तुतियां दी।

इस सत्र में भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान नई दिल्ली से डॉ डी.सी. उप्रेती, राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान के डॉ एन. के नैयर, संस्थान से डॉ ए. के. नंदीए व डॉ आई.डी. भटट ने शोध प्रस्तुतियों को मूल्यांकन कर आवश्यक सुझाव दिए। इस अवसर पर शोधार्थियों ने विभिन्न विषयों यथा हिमालयी आर्किड प्रजातियों के अध्ययन, वन्य गैर काष्ठ उत्पादों, वन औषधीय पौधों जैसे  तिमूर, गिमार, करमल, ममीरी आदि पौधों के औषधीय प्रभावों, लोकज्ञान और स्थानीय पारिस्थतिकीय ज्ञान जैसे Himalayan Biodiversity पर किए जा रहे अपने अनुसंधान, पद्धति और उपलब्धियों को प्रस्तुत किया।  

(Himalayan Biodiversity) इस मौके पर संस्थान के निदेशक डॉ आर एस रावल ने इस  आयोजन के लिए सभी को शुभकामनाएं दी। उन्होंने कहा कि यह मंच शोध कार्यों की गुणवत्ता को नए शिखर पर ले जाने का काम करेगा।

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राष्ट्रीय हिमालयी अध्ययन मिशन के नोडल अधिकारी इं. किरीट कुमार ने सभी शोधार्थियों से इस मूल्यांकन से आए सुझावों से शोध (Himalayan Biodiversity) कार्यों को गुणवत्तापूर्ण बनाने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि भारतीय हिमालयी राज्यों के लिए शोधार्थी वृहद दृष्टिकोण से कार्य करें और दूरगामी परिणामों वाले शोध परिणामों को प्रस्तुत करें।


परियोजना वैज्ञानिक ईं. सैयद रौउल्ला अली द्वारा कार्यक्रम का संचालन किया गया। संस्थान से डॉ रंजन जोशी, इं0 आशुतोष तिवारी, पुनीत सिराड़ी, आशीष जोशी, अरविंद टम्टा, जगदीश कुमार, योगेश परिहार आदि ने कार्यक्रम में प्रतिभाग किया। 

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