गोल्डन कार्ड पर कटौती पर रोक के हाईकोर्ट के आदेश का पेंशनर्स ने किया स्वागत

उत्तराखंड गवर्नमेंट पैशनर्स संगठन रामगंगा भिकियासैंण ने नैनीताल उच्च न्यायालय के उस आदेश का स्वागत किया है , जिसमें पेंशनर्स से गोल्डन कार्ड के नाम…

Old 500 or thousand notes worth over Rs 4 crore received from Uttarakhand

उत्तराखंड गवर्नमेंट पैशनर्स संगठन रामगंगा भिकियासैंण ने नैनीताल उच्च न्यायालय के उस आदेश का स्वागत किया है , जिसमें पेंशनर्स से गोल्डन कार्ड के नाम पर कटौती को रोकने को कहा गया हैं।


यहां जारी बयान में संगठन के अध्यक्ष तुला सिंह तड़ियाल ने कहा कि नैनीताल उच्च न्यायालय के आदेश के बाद सरकार ने गोल्डन कार्ड के नाम पर पेंशन से की जा रही जबरन कटौती को दिसम्बर महीने से ही बन्द करने के आदेश जारी कर दिए हैं ।तड़ियाल ने इस सफलता के लिए सभी पेंशनर्स को बधाई देते हुए इस सफलता को पेंशनर्स के संघर्ष की आंशिक जीत बताया है।

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कहा कि अभी बड़ी कानूनी लड़ाई के लिए तैयार रहने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि सीनियर सिटीजन के चार महीने के ऐतिहासिक आंदोलन के बाद भी प्रदेश में काबिज सरकार ने बुजुर्गो के आन्दोलन को बिल्कुल भी तरजीह नहीं दी। जिसके कारण बाध्य होकर संगठन को न्याय के लिये नैनीताल न्यायालय का रुख करना पड़ा। उन्होंने न्यायालय के निर्णय पर ख़ुशी जताई है।

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उन्होंने बताया कि, एक जनहित याचिका गणपत सिंह बिष्ट बनाम राज्य सरकार मार्च महीने से ही माननीय उच्च न्यायालय में विचाराधीन थी लेकिन लम्बे समय तक कोई निर्णय नहीं आने से पेंशनर्स का विश्वास डगमगाने लग गया। जिसके बाद एक सीनियर एडवोकेट की सेवाएं लेकर तुला सिंह तड़ियाल अध्यक्ष उत्तराखंड गवर्नमेंट पैशनर्स संगठन रामगंगा, भिकियासैंण बनाम राज्य सरकार नाम से एक दूसरी याचिका दाखिल की गई।

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कहा कि पिछले सप्ताह दोनों याचिकाओं पर माननीय उच्च न्यायालय ने स्थगन आदेश पारित कर दिये हैं जिसके कारण सरकार को बाध्य होकर इस कटौती को बन्द करने के आदेश करने पड़े है। कहा कि इसके बाद भी सरकार अपने अड़ियल रुख़ के कारण उच्च न्यायालय के स्थगन आदेश के खिलाफ माननीय उच्चतम न्यायालय में जाने की जिद पर अड़ी हैं। लेकिन विधि अनुभाग ने न्यायालय के कड़े रुख को भांपते हुए सरकार को इसकी अनुमति नहीं दी।

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न्यायालय ने अपने आदेश में स्पष्ट कहा है कि, पेंशन कोई दान की वस्तु नहीं है यह पैंशनर्स का अधिकार है सरकार पेंशनर्स की सहमति लिए वगैरह कोई कटौती नहीं कर सकती हैं। बयान में तड़ियाल ने कहा कि सरकार ने पैंशन से कटौती कर संविधान की धारा 300ए का उलंघन किया है। यही वजह रही कि सरकार को माननीय न्यायालय के आदेश का पालन करना पड़ा। तड़ियाल ने आगे कहा एक ओर सरकार आयुष्मान कार्ड के ज़रिए पांच लाख रुपए तक का इलाज आम लोगों के लिए मुफ्त कर रही है

वहीं दूसरी ओर पैंशनर्स को ब्रिटिश काल से चली आ रही चिकित्सा प्रतिपूर्ति सुविधा को बन्द करने में आमादा है। उन्होंने कहा अभी कानूनी लड़ाई जारी है जब तक पेंशनर्स को नि:शुल्क इलाज की गारंटी नहीं मिल जाती और अभी तक काटी गई राशि मय ब्याज वापस नहीं हो जाती तब तक उनका संघर्ष जारी रहेगा। उन्होंने सभी पैंशनर्स से एकजुट होकर संघर्ष को मुकाम तक पहुंचाने की अपील की है