न्यायालय ने शराब की दुकानों के सामने सीसीटीवी कैमरे लगाने व 21 वर्ष से कम आयु के युवाओं को शराब खरीदने पर प्रतिबंध को कड़ाई से लागू करने के निर्देश दिए हैं।
कोर्ट ने सरकार के आबकारी अधिनियम पर टिप्पणी करते हुए कहा कि एक तरफ इस अधिनियम में मद्यनिषेध को प्रोत्साहित करने का प्रावधान है तो दूसरी ओर सरकार लगातार दुकानों की संख्या बढ़ाकर इस कारोबार बढ़ावा दे रही है ।
हाइकोर्ट में बागेश्वर जिले के गरुड़ निवासी वरिष्ठ अधिवक्ता डीके जोशी ने राज्य में शराबबंदी को लेकर हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी । गुरुवार को इस पर सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायधीश रमेश रंगनाथन व आलोक वर्मा की खंडपीठ ने राज्य में चरणबद्ध ढंग से शराबबंदी लागू करने के लिए नीति बनाने के निर्देश दिए । याचिका में राज्य सरकार को यूपी आबकारी अधिनियम 1910 की धारा 37अ के अनुपालन में शराब बंदी करने के लिए दिशानिर्देश जारी करने और शराब के कारोबार से राज्य को हो रहे नुकसान का आंकलन कर उचित कदम उठाने के लिए राज्य सरकार को आदेशित किये जाने के लिए प्रार्थना की गई है। याचिकाकर्ता का कहना है कि पहाड़ी प्रदेश को सबसे ज्यादा बर्बाद करने वाली शराब पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए । उत्त याचिका पर सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने सरकार को यह दिशानिर्देश दिए| याचिकाकर्ता जोशी ने न्यायालय के इस निर्णय को ऐतिहासिक व जनकल्याणकारी बताया है|
बड़ी खबर:- हाइकोर्ट ने प्रदेश में चरणबद्ध शराबंदी को कड़े कदम उठाने के दिए निर्देश, शराब की दुकानों के सामने सीसीटीवी कैमरे लगाने को कहा
डेस्क:- नैनीताल हाईकोर्ट ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए सरकार से प्रदेश में चरणबद्ध ढंग से शराबबंदी लागू करने के लिए छह माह…