नैनीताल। उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने प्रदेश सरकार से पूछा है कि 2016 में न्यायमूर्ति इरशाद हुसैन कमेटी की रिपोर्ट पर क्या निर्णय लिया गया । न्यायालय ने सरकार से लिए गए निर्णय के साथ राजकीय सेवाओं में प्रमोशन में आरक्षण के लिए कैडर वाइज रोस्टर न वनाए जाने पर जवाब तलब कर दिया है। जवाब दाखिल करने के लिए सरकार को छह सप्ताह का समय दिया या है। इसके साथ अगली सुनवाई 23 फरवरी नियत कर दी है।
गौरतलब है कि सचिवालय अनुसूचित जाति एवं जनजाति कार्मिक संगठन के अध्यक्ष वीरेंद्र पाल सिंह ने याचिका दायर की है। इसमें सर्वोच्च न्यायालय जनरैल सिंह बनाम लक्ष्मी नारायण के केस में दिए गए आदेश का हवाला दिया गया है।
याचिका में कहा गया है उच्चतम न्यायालय ने राजकीय सेवाओं में राज्य सरकारों को प्रमोशन में आरक्षण के लिए कैडरवाइज रोस्टर तैयार करने के निर्देश दिए हैं। याचिका में आरोप लगाया गया है कि राज्य सरकार ने अभी तक इस आदेश का पालन नहीं किया।
याचिका में कहा गया कि 2012 में इन्दु कुमार पांडे कमेटी की रिपोर्ट ने माना था कि उत्तराखंड के राजकीय सेवाओं में प्रमोशन में आरक्षण के लिए अनुसूचित जाति एवं जनजाति के लोगों के प्रत्यावेदनों का प्रतिनिधित्व कम है। याचिका में उल्लेख किया गया है कि इसका समाधान खोजने के लिए राज्य सरकार ने न्यायमूर्ति इरशाद हुसैन कमेटी गठित की थी। कमेटी ने 2016 में राज्य सरकार को रिपोर्ट सौंपी। याचिका में कहा गया है कि अब तक न्यायमूर्ति इरशाद हुसैन कमेटी की रिपोर्ट को राज्य सरकार ने सार्वजनिक नहीं किया।