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बालिग उत्तराखंड की बेबस(Helpless) तस्वीर, अस्पताल को पैदल निकली महिला ने रास्ते में दिया बच्चे को जन्म

उत्तरा न्यूज डेस्क
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Helpless picture of adult Uttarakhand, a woman walking to the hospital gave birth to a child on the way

अल्मोड़ा,16 जुलाई 2020 – कागजों में विकास की कुलांचें मार रहा उत्तराखंड स्वास्थ्य सुविधाओं के मामले में कितना बेबस (Helpless)है यह इस कहानी से साफ हो रहा है.

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इस बार बेबसी(Helpless) की तस्वीरें उत्तरकाशी से आई हैं यहां एक प्रसव पीड़ा से जुझ रही महिला अस्पताल को सुरक्षित प्रसव की उम्मीद में निकली. लेकिन गांव से मुख्य सड़क तक एक किमी के पैदल मार्ग में ही उसे बच्चे को जन्म देना पड़ा.

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उत्तरकाशी जिले के नौगांव विकासखडं हिमरोल ग्राम सभा में बुधवार सुबह एक महिला ने पैदल रास्ते मे बच्चे को जन्म दिया. हिमरोल गांव, कुंवा – कफनौल मोटर मार्ग पर है और हिमरोल गांव सड़क मार्ग तक पहुंचने में एक किलोमीटर पैदल चलना पड़ता है.

बुधवार सुबह हिमरोल गाँव की एक महिला को अचानक प्रसव पीड़ा हुई तो परिजन महिला को स्वास्थ्य केन्द्र नोगावँ ले जाने के लिए 1 किलोमीटर दूर सड़क मार्ग तक पहुंचने के लिए पैदल जा रहे थे कि महिला ने बच्चे को पैदल रास्ते मे ही जन्म दे दिया.

यहां यह भी बता दें कि हाल ही में नौगांव सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में स्वास्थ्य सुविधाओं के आभाव के कारण एक महिला की प्रसव के दौरान मौत हो गई थी.


हिमरोल के ग्रमीणों का कहना कि उनके गांव में सड़क न होने के कारण ग्रमीणों को कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है.


इधर इस मामले पर सरकार के शासकीय प्रवक्ता मदन कौशिक ने कहा है कि प्रदेश ज़्यादातर इलाक़ों में सड़क जा चुकी है लेकिन कुछ ऐसे इलाक़े हैं जहां सड़क नहीं जा पाई है.उन्होंने कहा कि इस मामले में जिलाधिकारी उत्तरकाशी को विस्तृत रिपोर्ट देने को कहा गया है. गांव के लिए सड़क क्यों स्वीकृत नहीं हो पाई इस बारे में भी जानकारी ली जाएगी.

बताते चले कि यह कहानी केवल उत्तरकाशी की ही नहीं है कई गांव आज भी दूरस्थ क्षेत्र में हैं. वक्त के मुताबिक किरदार जरुर बदलते हैं. कभी पौड़ी,चौखुटिया का लालुरी, ओखलकांडा जैसा क्षेत्र सुविधाओं का रोना रो रहा है.

कभी पहाड़ की लक्ष्मी सड़क तक पहुचने में ही दम तोड़ देती है तो किसी बुजुर्ग को जीते जी जीने की उम्मीद में कंधो पर लद कर सड़क तक पहुंचने को मजबूर होना पड़ता है. लेकिन अपना उत्तराखंड कागजों में ही बन संवर रहा है. सरकारे मस्त है, सिस्टम उन्हें चलाने में व्यस्त है और यहा रह रही प्रजा जरूरी सुविधा के अभाव में त्रस्त (Helpless)है.

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