अनाथ बच्चों का पालन पोषण तो किया अब सता रही है भरण पोषण की चिंता
अल्मोड़ा— बागेश्वर जिले में गरूड़ के टीट बाजार निवासी पादरी रहे विक्टर सिंह की पीड़ाएं लगातार बढ़ती जा रही है. मददगारों के अलावा कम लोग ही उसके दर्द को जानते हैं.
वर्ष 2010 में लाइलाज बीमारी से पीड़ित दम्पत्ति के दो बच्चों को उनकी अचानक मौके के बाद गले लगाने वाले पादरी विक्टर ने मानवता की अनूठी मिशाल कायम की थी. तब वह इन बच्चों के लिए फरिश्ता बना था. सारे जहान से उसे दुआएं और मदद भी मिली जिसके चलते उनक मासूस बच्चों को वह आज तक पाल पाया और पढ़ालिखकर बड़ा कर कर पाया.
आज बड़े बच्चों के आगे की पढ़ाई और भरण पोषण के लिए फिर से विक्टर पादरी के सामने संकट खड़ा हो गया है. अब उम्र भी साथ नहीं दे रही है और पादरी विक्टर आर्थिक मदद के लिए गुहार लगा रहे हैं. सरकारी योजनाओं के सांचे में वे कहीं लाभ नहीं ले पा रहे हैं. प्रधानमंत्री से मुख्यमंत्री तक भेजे पत्रों से भी कोई लाभ नहीं मिला.
ज्ञात हो कि गरूड़ निवासी एक व्यक्ति जो सार सिमार में रहता था. वर्ष 2000 में मुम्बई में फैक्ट्री काम के दौरान उसने वहां निवासी एक से प्रेम विवाह किया.
बाद में वह लाइलाज रोग से पीड़ित हो गए. उक्त दम्पत्ति को2003 तक ज्ञात हुआ कि वे दोनों लाईलाज बीमारी से पीड़ित हैं. तब वह अपने दो बच्चों लेकर गांव आ गए. बीमारी के कारण उन्हें घोर उपेक्षा से जूझना पड़ा और मेहतन मजदूरी करते हुए महिला ने बच्चों को पाला और अंत में परिवार का सहारा नहीं मिला और पति की मौत के बाद अंजलि ने गरूड़ स्थित प्रार्थना भवन की शरण ली. 2010 में उसकी भी मौत हो गई. तब उसकी बेटी पूजा 12 साल की थी और बेटा राहुल 10 साल का था. पादरी विक्टर ने जो तब लगभग 66 साल के थे दोनों बच्चों को गले लगाया और उन्हें पालने का जिम्मा लिया.
स्थानीय लोगों और दिल्ली आदि से अनेक लोगों ने उनको मदद दी और ये बच्चे लगातार अच्छी पढ़ाइ करते रहे और मेधावी निकले. पूजा ने आज स्नातक पूरा कर लिया है जबकि राहुल 12वीं पास कर चुका है. लगभग 77 साल के बूढ़े पादरी विक्टर के पास अब बच्चों के लालन पालन की कोई व्यवस्था है. वे चाहते हैं कि राहुल को कहीं काम मिले लेकिन सारे प्रयास विफल साबित हुए.
मेधावी पूजा पीसीएस की तैयारी करना चाहती है लेकिन उनकी आर्थिक स्थिति साथ नहीं दे रही है. पादरी विक्टर ने बच्चों के पालन पोषण में अपना पूरा जीवन दे दिया न तो बच्चों को धर्म परिवर्तन कराया और नहीं अपने समाज से कोई मदद ली. आज विक्टर बच्चों के भविष्य की चिंता का दर्द सीने में लेकर घूम रहे हैं.
उनका कहना है कि सामान्य वर्ग के बच्चे होने के कारण उन्हें कहीं से किसी येाजना का लाभ नहीं मिल रहा हैं अब उनके सामने संकट है कि बच्चों को पाले कैसे और पढ़ाए कैसे? सरकार द्वारा जारी प्रमाण पत्र में स्वयं तहसीलदार ने इस परिवार की आय 500 रूप्या मासिक आंकी है.ऐसे में इस परिवार को आर्थिक मदद की जरूरत है.
यदि आप भी इस परिवार या बच्चों की मदद करना चाहें तो मदद हेतु पादरी विक्टर सिंह – 9917628543 के मोबाइल नंबर पर संपर्क कर सकते हैं. आगे बढ़े और एक परिवार की मदद कर मानवता की मिशाल पेश करें.
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