श्रद्धालुओं की आस्था पर भारी लूटखोरी: हाईवे पर जाम का फायदा उठाकर ढाबों में लूट, 400 रुपये में पराठा और 500 में दाल

प्रयागराज में संगम स्नान के लिए पहुंच रहे श्रद्धालुओं को इस बार न केवल भीषण जाम की परेशानी झेलनी पड़ी, बल्कि हाईवे के ढाबों पर…

Heavy looting on the faith of devotees: Taking advantage of the jam on the highway, the dhabas were looted

प्रयागराज में संगम स्नान के लिए पहुंच रहे श्रद्धालुओं को इस बार न केवल भीषण जाम की परेशानी झेलनी पड़ी, बल्कि हाईवे के ढाबों पर मनमानी कीमतों ने उनकी मुश्किलें और बढ़ा दीं। श्रद्धालुओं के लिए पुण्य कमाने की यह यात्रा कुछ व्यवसायियों के लिए अवसर बन गई, जहां उन्होंने खाने-पीने की वस्तुओं के मनमाने दाम वसूलकर लूटखसोट शुरू कर दी।

मथुरा से प्रयागराज निजी वाहन से पहुंचे 70 वर्षीय विनय किशोर ने बताया कि उन्होंने अपने जीवन में ऐसा भयंकर जाम नहीं देखा। फतेहपुर से प्रयागराज तक के सफर में उन्हें कई ढाबों पर भोजन नहीं मिला, और जहां मिला, वहां कीमतें सुनकर होश उड़ गए। उन्हें एक साधारण आलू पराठा 400 रुपये में और एक कप चाय 50 रुपये में खरीदनी पड़ी।

इसी तरह, संगम स्नान के लिए पहुंचे अखिलेश और उनकी पत्नी गरिमा ने बताया कि उन्हें कई ढाबों में खाने से साफ मना कर दिया गया। कौशांबी के अजुहा में एक ढाबे में दाल-फ्राई का रेट 500 रुपये था, जो आम दिनों की तुलना में कई गुना अधिक था।

आगरा के सिकंदरा निवासी अभिषेक ओझा प्रयागराज के लिए निकले, लेकिन उन्हें वहां पहुंचने में पूरे 26 घंटे लग गए। उन्होंने बताया कि कानपुर से प्रयागराज के बीच कई ढाबों पर भोजन ही नहीं मिला, और जहां मिला, वहां दो रोटी, सब्जी और दाल के लिए 750 रुपये तक वसूले गए।

लखनऊ रूट से प्रयागराज पहुंचे मुरादाबाद के प्रशांत वत्स ने भी अपनी नाराजगी जताई। उन्होंने बताया कि चार पूड़ी-सब्जी के लिए 250 रुपये चुकाने पड़े। ढाबा संचालकों ने इस जाम का भरपूर फायदा उठाया और श्रद्धालुओं की मजबूरी को अपनी कमाई का जरिया बना लिया।

यह स्पष्ट है कि प्रशासन की ओर से किसी भी प्रकार की मूल्य नियंत्रण व्यवस्था नहीं की गई, जिससे ढाबा मालिकों को खुली लूटखसोट करने का मौका मिल गया। श्रद्धालुओं की भारी भीड़ और लंबा जाम पहले से अनुमानित था, लेकिन बुनियादी सुविधाओं की कोई व्यवस्था नहीं की गई।

समाधान और आवश्यक कदम

  1. खाद्य पदार्थों के दाम तय किए जाएं – प्रशासन को चाहिए कि वह खाद्य पदार्थों के अधिकतम दाम निर्धारित करे और उसका सख्ती से पालन करवाए।
  2. निरीक्षण दलों की तैनाती – पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों की टीमें ढाबों का औचक निरीक्षण करें और मनमानी कीमत वसूलने वालों पर कार्रवाई करें।
  3. यात्री सहायता केंद्र बनें – हाईवे पर जगह-जगह सस्ते भोजन और पानी के स्टॉल लगाए जाएं, ताकि श्रद्धालुओं को राहत मिले।
  4. ऑनलाइन शिकायत पोर्टल शुरू किया जाए – यात्रियों को यह सुविधा दी जाए कि वे किसी भी प्रकार की लूटखसोट की शिकायत तुरंत दर्ज करा सकें।

यदि प्रशासन और स्थानीय व्यवसायी मिलकर सही निर्णय लें, तो ऐसी यात्राएं श्रद्धालुओं के लिए परेशानी की बजाय एक सुखद आध्यात्मिक अनुभव बन सकती हैं।

Leave a Reply