अपने फेसबुक वॉल में पोस्ट कर कांग्रेस के दिग्गज नेता व पूर्व सीएम हरीश रावत ने सरकार पर तंज कसते हुए कहा कि सरकार कहती है कि हमारे विधायकों को गैरसैंण में ठण्ड लग जाती है, तो मैंने तय किया है कि नहीं, गैरसैंण में ठण्ड नहीं लगती है गैरसैंण हमारी आत्मा और भावनाओं में गर्माहट पैदा करता है। यह सिद्ध करने के लिए मैं 4 दिसम्बर को जिस समय देहरादून में विधानसभा सत्र प्रारम्भ हो रहा होगा, मैं उपवास पर बैठूंगा। हरदा ने कहा कि वह 4 दिसम्बर को सुबह 11 बजे से गैरसैंण में सांकेतिक उपवास करेंगे।
गढ़वाल और कुमाऊं के बीच में बसा पर्वतीय भू—भाग वाला गैरसैंण को लंबे समय से स्थायी राजधानी बनाने की मांग उठते रही है। लेकिन जब वर्ष 2000 में राज्य का गठन हुआ तो देहरादून को अस्थाई राजधानी बना दिया गया। गैरसैंण से जनभावनाएं जुड़ी होने के कारण इस पर सियासत होती रही लेकिन कोई भी राजनीतिक दल गैरसैंण पर स्थिति स्पष्ट करने का साहस नहीं जुटा पाया।
इधर 2014 में हरीश रावत मुख्यमंत्री बने तो उन्होंने यहां विधानसभा सत्र करा दिया और इसके बाद लगातार हर साल यहां विधानसभा का एक न एक सत्र होता रहा है। लेकिन पहली बार इस साल गैरसैंण में कोई भी सत्र आहूत नहीं किया गया। बता दे कि भाजपा ने 2017 के अपने चुनावी घोषणापत्र में गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी के रूप में विकसित करने का वायदा किया था लेकिन इन दो सालों में सरकार गैरसैंण के नाम पर कुछ ऐसा नहीं कर पाई जिसे वह अपनी उपलब्धि गिना सके।