अल्मोड़ा जिले में ग्राम प्रधानों (gram pradhan) ने कहा- प्रवासियों को गांव में होम क्वारेंटीन कराने में हैं असमर्थ

अल्मोड़ा:11 मई 2020— विभिन्न क्षेत्रों से अपने गावों को वापस लौट रहे प्रवासियों को होम क्वारेंटीन करने में ग्राम प्रधानों (gram pradhan)ने अपने हाथ खड़े…

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अल्मोड़ा:11 मई 2020— विभिन्न क्षेत्रों से अपने गावों को वापस लौट रहे प्रवासियों को होम क्वारेंटीन करने में ग्राम प्रधानों (gram pradhan)ने अपने हाथ खड़े कर दिए हैं। प्रधानों का कहना है कि गांवों मे न तो सुविधाएं हैं और न ही संशाधन। इस कार्य से पहले गांवों को संशाधन मुहैया कराने चाहिए।

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उत्तरा न्यूज रिपोर्ट

लॉक डाउन में ढील मिलने के साथ ही गांव घरों को आने वाले प्रवासियों का रेला उमड़ने लगा है। रोज सैकड़ों की संख्या में प्रवासी विभिन्न प्रदेशों से अपने घरों को लौट रहे हैं।

अल्मोड़ा जिले के 1160 गांवों में इन दिनों हजारों की तादाद में लोग अपने घरों को वापस लौट रहे हैं। लॉक डाउन अवधि से अब तक विभिन्न राज्यों में फंसे 12 हजार से अधिक प्रवासी अपने गांव में लौट आए हैं जबकि करीब कई हजार लोगों ने घर वापसी के लिए पंजीकरण किया है। इनकी संख्या 20 हजार तक बताई जा रही है।

ऐसी स्थिति में इन लोगों को केवल घरों में एकांतवास करने के निर्देशों के चलते गांवों में अजीब सी स्थिति पैदा हो गयी है। कई गांवों में इन प्रवासियों को शक के निगाह से देखा जा रहा है तो ग्राम प्रधानों ने गांवों में घरों में एकांतवाश की कोई व्यवस्था नहीं होने की बात कह हाथ खड़े कर दिये है।

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ग्राम प्रधानों के मुताबिक सरकार को इन लोगों का संस्थागत एकांतवाश कराना चाहिए था। क्योंकि गावों में ऐसी व्यवस्थाएं ही नहीं है कि सभी को गृह एकांतवाश के दौरान नियमों का पालन कराया जा सके।

दशाऊं के प्रधान हरीश बिष्ट ने कहा कि गांवों में लोग एक या दो कमरे के घरों में रहते हैं। शौचालय अमूमन हर घर में एक ही है। ऐसी स्थिति में लोगों को कैसे क्वारेंटीन के नियमों का पालन कराएं। उन्होंने कहा कि प्रवासियों को प्राथमिकता से संस्थागत क्वारेंटीन कराना चाहिए। यदि व्यवस्था नहीं है तो प्राथमिक स्कूलों में भी यह व्यवस्था की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि हम आज एडीएम के माध्यम से सरकार को ज्ञापन देकर आए हैं।

सल्ला गांव के प्रधान बसंत टम्टा का कहना है कि अभी तक उनके पास कोई दिशा निर्देश तक नहीं पहुंचे हैं। वह केवल संचार माध्यमों से सुन रहे हैं कि उन्हें प्रवासियों को घरों में क्वारेंटीन कराना चाहिए। लेकिन ग्राम पंचायतें इस कार्य के लिए सक्षम नहीं हैं।

इधर सोमवार को हवालबाग और भैसियाछाना के कई प्रधानों ने भी प्रशासन के माध्यम से मुख्यमंत्री को इस बावत ज्ञापन भी भेजा है। इसके अलावा द्वारसों सहित अन्य कई गांवों के प्रधान भी अपने स्तर से पत्र लिख चुके हैं कि वह पंचायत स्तर पर होम क्वारेंटीन कराने में असमर्थ हैं।

इधर उपजिलाधिकारी सीमा विश्वकर्मा ने कहा कि कि गाईड लाइन के अनुसार ही प्रवासियों को नियमों के अनुसार जांच करा घरों में एकांतवास के लिए भेजा जा रहा है और अभी तक की जो गाइड लाइन आई है उसी के अनुरूप कार्य किया जा रहा है।