बताते चलें कि ग्राफीन कार्बन का अपरूप है जो 21वीं सदी का बहुपयोगी पदार्थ है। जिसका उपयोग उर्जा के क्षेत्र में सोलर सैल, फ्यूल सैल, बैटरी, सुपर कैपिस्टर व दवाई तथा जल शुद्धिकरण समेत अन्य क्षेत्रों में किया जाता है। जानकारी के मुताबिक सौ किलोग्राम प्लास्टिक से करीब 12 किलो ग्राफीन तैयार किया जा सकता है। जिसकी कीमत 40 हजार से एक लाख रुपये प्रति किलो होगी।
इस दौरान शोधार्थियों की टीम के मनोज, मयंक पाठक, अनीता राणा, हिमानी तिवारी, गौरव, नेहा कार्की, चेतना तिवारी, मोनिका, भास्कर बोरा, सुनील, राजेंद्र कुमार, दीवान सिंह, संदीप आदि थे |
इस दौरान शोधार्थियों ने कुलपति प्रो. राणा से नैनो साइंस एंड नैनो टेक्नोलॉजी सेंटर में बेहतर लैब बनाने की मांग की|
बताया गया कि यहां एकत्रित कूड़े से डीजल, कैरोसीन व एलपीजी गैस बनाई जाएगी। साढ़े तीन करोड़ की राशि से नैनीताल के नारायण नगर क्षेत्र में प्लांट बनाने की प्रक्रिया की जा रही है।
कार्यक्रम में कुलपति प्रो. केएस राणा, वित्त अधिकारी दिनेश राणा, उप कुल सचिव केआर भट्ट, रूसा के नोडल अधिकारी प्रो. अतुल जोशी, रसायन विज्ञान के विभागाध्यक्ष प्रो. एबी मेलकानी, एनआरडीसी के प्रबंध संचालक एच पुरूषोतम, एनआरडीसी के चीफ डीसी जोशी, अश्विनी कुमार, आईक्यूएसी के निदेशक प्रो. राजीव उपाध्याय, एनएमएचएस के नोडल अधिकारी कीरित कुमार, डॉ. महेंद्र राणा, कोली साहू, हेसक्रॉप कंपनी के मारूति साह, अक्षत साह, एई संजय पंत, विधान चौधरी आदि मौजूद थे|