नकुल पंत, उत्तर प्रदेश। सरकारी प्राथिमक स्कूल यानी गरीबों का विद्यालय। जहाँ लोग अपने नौनिहालों को पढ़ने के लिए भेजा करते हैं। देश के सभी राजकीय विद्यालयों के लिए ऐसा ही एक सरकारी आदर्श प्राइमरी विद्यालय अनूठी शिक्षा प्रणाली के लिए उदाहरण बना है।
उत्तरप्रदेश में सम्भल जनपद का इटायला माफी राजकीय प्राथमिक विद्यालय पूरे देश के सभी राजकीय विद्यालयों के लिए यह सरकारी आदर्श प्राइमरी विद्यालय अनूठी शिक्षा प्रणाली के लिए उदाहरण है। स्कूल की बच्चों की पढ़ाई का स्तर एवम व्यवस्थाएं प्राइवेट अंग्रेजी माध्यम के विद्यालय से भी भिन्न है। पर्यावरण एवम स्वच्छता के लिहाज से स्कूल में पांच सौ अनेक फूल वाले गमले तथा तीन सौ पेड़ पौधे लगाए गए हैं। जिससे स्कूल की स्वच्छ्ता देखते ही बनती है। पूरा विद्यालय क्षेत्र सीसीटीवी कैमरों की निगरानी में है। वीडियो प्रोजेक्टर तथा कम्प्यूटरीकृत शिक्षण प्रणाली द्वारा कक्षाऐं संचालित की जाती हैं।गर्मी से बचने के लिए सोलर पंखे लगे हुए हैं। पेयजल के लिए नलकूप टंकी तथा समर सेविल लगे हैं। यह सब सरकारी खजाने से नहीं बल्कि स्कूल के प्रधानाचार्य कपिल मलिक ने स्वयं के खर्चे से विद्यालय को सजाया व संवारा है। अब तक मलिक 20 लाख रुपये से अधिक का खर्च अपने स्वयं की जेब से कर चुके हैं।
धीरे धीरे जब इस स्कूल की चर्चा राज्य के शिक्षा जगत में होने लगी तो उत्तरप्रदेश राज्य सरकार ने इस स्कूल को आदर्श स्कूल घोषित किया। मलिक बतातें हैं कि जब उन्होंने स्कूल पहुंच कार्यभार ग्रहण किया तो उनके सामने स्कूल को संवारने के लिए काफी चुनोतियों का सामना करना पड़ा था। बताया कि स्कूल की चहारदीवारी नहीं होने के चलते ग्रामीण अपनी बैलगाड़ियां स्कूल प्रांगण में पहुंचा देते थे। बच्चों के बैठने के लिए फर्नीचर, खेल मैदान, पीने योग्य पेयजल आदि अनेक सुविधाएं उपलब्ध नहीं थी। ऐसे में महज 15 से 20 बच्चे ही स्कूल पहुंच पाते थे। वर्तमान में स्कूली छात्रों की संख्या चार सौ पार कर गई है। खास बात यह है कि स्कूल के अध्यापक तथा बच्चे बायोमैट्रिक मशीन से हाजरी लगाते हैं। शिक्षकों की मेहनत से बच्चे पूरे जिले में नाम रोशन कर रहे हैं। साथ ही अब उन्हें ग्रामीणों का सहयोग भी खूब मिल रहा है।यह सब प्रधानाचार्य कपिल मलिक की काबिलियत ही है। वास्तव में यह सरकारी प्राइमरी विद्यालय देश के अन्य सरकारी और प्राइवेट विद्यालयों के लिये के एक अनूठी मिशाल पेश कर रहा है।