मधुबाला के 86 वे जन्मदिन पर गूगल (google) ने डूडल (doodle) बनाकर किया याद

सिने ​अभिनेत्री मधुबाला (Madhubala) के 86 वे जन्मदिन पर गूगल (google) ने डूडल (doodle ) बनाकर उन्हे याद किया। आज ही के दिन 1933 को…

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सिने ​अभिनेत्री मधुबाला (Madhubala) के 86 वे जन्मदिन पर गूगल (google) ने डूडल (doodle ) बनाकर उन्हे याद किया। आज ही के दिन 1933 को दिल्ली में मधुबाला का जन्म हुआ। बचपन में उन्हे मुमताज़ जहां के नाम से पुकारा जाता था।


आकाशवाणी दिल्ली में बच्चों के एक कार्यक्रम के दौरान संगीतकार मदनमोहन की नजर उन पर पड़ी और यहां से शुरू हुआ मुमताज से मधुबाला बनने का सफर। बांबे टाकीज की फिल्म बसंत में मुमताज ने एक बाल कलाकार की भूमिका निभाई। इसके बाद उन्होने मुड़कर पीछे नही देखा और बाद में उन्हे मधुबाला के रूप में पूरी दुनिया ने जाना। महज 36 वर्ष की आयु में वर्ष 1969 में वह इस दुनिया को अलविदा कह गई। (google)


लगभग 70 से अधिक फिल्मों में मधुबाला ने अभिनय किया। ‘बसंत’, ‘फुलवारी’,अमर प्रेम’, ‘महल’, ‘नील कमल’, ‘पराई आग’, ”इम्तिहान’, ‘अपराधी’, ‘मधुबाला’, ‘बादल’, ‘गेटवे ऑफ इंडिया’, ‘जाली नोट’, ‘शराबी’ और ‘ज्वाला’ ​आदि उनकी मशहूर फिल्मे थी।

अल्मोड़ा (Almora) में इस शिला में मूर्छित होकर गिर पड़े थे स्वामी विवेकानंद, एक मुस्लिम फकीर ने की थी उनकी मदद

1947 में प्र​दर्शित हुई’नील कमल’ फिल्म मुमताज के नाम से उनकी आखिरी फिल्म रहीं। देविका रानी के कहने पर उन्होने अपना नाम बदलकर मधुबाला रख लिया। इसके बाद उन्हे मधुबाला (Madhubala) के नाम से जाने जाना लगा।
‘नील कमल’ के रिलीज होने के बाद उन्होने अपने अभिनय की छाप छोड़ी और उन्हे सिनेमा की ‘सौंदर्य देवी’ कहा गया। 1949 में आई उनकी फिल्म ‘महल’ बेहद सफल रही इसके बाद मधुबाला ने पीछे मुड़कर नही देखा।

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मुगल-ए-आज़म फिल्म उनकी अदाकारी का उत्कृष्ट नमूना थी। खराब स्वास्थ्य के बावजूद इस फिल्म में अनारकली के अभिनय ने फिल्म में अलग छाप छोड़ी। दिल में छेद होने के कारण उनका स्वास्थ्य खराब होते जा रहा था लेकिन उन्होने इस फिल्म को पूरा किया। इस फ़िल्म के लिये उन्हे फ़िल्म फ़ेयर अवार्ड के लिये नामित किया गया था।

मधुबाला शारीरिक कष्ट ​के साथ ही मानसिक तनाव से भी जूझते रही। दिलीप कुमार से विवाह ना हो पाने के कारण वह​ डिप्रेशन में चली गई थी। (google)

मधुबाला को विवाह के लिये एस समय के अभिनेता में से भारत भूषण, किशोर कुमार और प्रदीप कुमार से प्रस्ताव मिला। मधुबाला ने अपनी इच्छा से किशोर कुमार को अपने जीवन साथी के रूप में चुना। उस समय मधुबाला ने तलाकशुदा किशोर कुमार को अपने जीवनसाथी के रूप में चुना। मधुबाला के पिता ने किशोर कुमार से कहा कि मधुबाला शल्य चिकित्सा के लिये लंदन जा रही है तथा उसके लौटने पर ही विवाह हो पायेगा। मधुबाला मृत्यु से पहले ही विवाह करना चाहती थीं और यह बात किशोर कुमार को पता थी कि मधुबाला गंभीर रूप से बीमार है। (google)

अल्मोड़ा (Almora) में इस शिला में मूर्छित होकर गिर पड़े थे स्वामी विवेकानंद, एक मुस्लिम फकीर ने की थी उनकी मदद


१९६० में दोनों का विवाह हुआ। हालांकि परन्तु किशोर कुमार के माता-पिता ने कभी भी मधुबाला को स्वीकार नही किया। उनके घर वालों का सोचना था कि मधुबाला के कारण ही यह शादी टूटी थी। किशोर कुमार ने अपने माता-पिता को खुश करने के लिये हिन्दू रीति-रिवाज से ​फिर शादी की लेकिन उनकी नाराजगी दूर नही हुई।(google)

इलाज के लिए मधुबाला को लंदन ले जाया गया लेकिन डाक्टरों ने उनकी नाजुक हालत को देखते हुए सर्जरी के लिये मना कर दिया। डाक्टरों को सर्जरी के दौरान ही उनकी मत्यु का अंदेशा था। मधुबाला के आखिरी समय काफी कष्ट में बीतें। अन्तिम 9 वर्ष वह बिस्तर में ही रही और 23 फ़रवरी 1969 को ह्दय की घातक बीमारी ने उनकी जान ले ली। उनकी मृत्यु के दो वर्ष बाद 1971 में उनकी अंतिम फिल्म ‘जलवा’ रिलीज हुई। (google)

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