मंगलौर क्षेत्र स्थित कुआंहेड़ी निवासी आलोक ने पुलिस से शिकायत कर बताया था कि वह गुरुकुल नारसन स्थित ओजस्व कॅरियर इंस्टीट्यूट से परीक्षा की तैयारी कर रहा था। कोचिंग सेंटर के संचालक मुकेश सैनी ने बताया था कि वह 4 लाख रुपये में परीक्षा का पेपर उपलब्ध करा सकता है। साथ ही पास करवाकर नौकरी भी लगवा देगा।
इसी बीच मुकेश सैनी के दोस्त कपिल से उसकी मुलाकात हुई। कपिल ने भी बताया कि मुकेश ने उससे भी 4 लाख रुपये मांगें हैं और वह रुपये दे रहा है। झांसे में आकर उसने मुकेश को 1 लाख रुपये दे दिए थे। मुकेश ने बताया था कि परीक्षा से पहले उसे कॉलेज के बाहर ही पेपर उपलब्ध करा दिया जाएगा।
आलोक ने पुलिस को शिकायत कर यह भी बताया था कि सेंटर संचालक मुकेश सैनी ने उसे कपिल को एक ब्लूटूथ डिवाइस देने की बात कही थी, जो वह उसे परीक्षा के दिन उपलब्ध करा देगा और ब्लूटूथ के जरिये पेपर हल करवा देगा। परीक्षा वाले दिन आलोक ज्वालापुर स्थित परीक्षा केंद्र के बाहर खड़ा था, लेकिन उसे पेपर और ब्लूटूथ उपलब्ध नहीं करवाया गया था। इस कारण उसकी परीक्षा भी छूट गई थी।
समूह ‘ग’ पदों की भर्ती में पारदर्शिता (Transparency) और नकल रोकने के लिए व्यवस्था बदलने के बाद भी लिखित परीक्षाओं में सुधार नहीं हुआ है। पिछले तीन सालों में अधीनस्थ सेवा चयन आयोग ने भर्ती परीक्षा के सिस्टम में कई बदलाव किए हैं। लेकिन परीक्षा को फुलप्रूफ बनाने में आयोग की रणनीति कारगर साबित नहीं हुई है।
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