For raising the problem of monkeys, the forest department demanded evidence
अल्मोड़ा, 08 जुलाई 2022- वन विभाग(forest department) को बंदरों की समस्या का निस्तारण और नगर क्षेत्र से ग्रामीण क्षेत्रों में बंदरों को छोड़े जाने की शिकायत पर वन विभाग ने साक्ष्य उपलब्ध कराने की फरमाइश की है।
मामले में सामाजिक कार्यकर्ता संजय कुमार पाण्डे द्वारा 23 जून को अल्मोड़ा में चल रही जनसमस्याओं के संबंध में जिला अधिकारी को पत्र प्रेषित किया गया था । जिसमें नगर क्षेत्र में बंदरों के आतंक तथा बंदरों को गाड़ियों में भरकर पहाड़ी क्षेत्रों में भेजे जाने सम्बन्धी उल्लेख किया गया था ।
संजय पांडे ने बताया कि “वन विभाग (forest department)का कहना है कि नगर क्षेत्र में बन्दरों को पकड़ने की जिम्मेदारी नगरपालिका परिषद की है तथा विभाग स्तर पर आतंकित क्षेत्र के बंदरों को बजट की उपलब्धता के आधार पर पकड़कर दूरस्थ जंगलों में छोड़ा जाता है।
इसके अतिरिक्त मानव वन्यजीव संघर्ष राहत वितरण नियमावली के सुसंगत नियमों के अनुसार बंदरों के काटे जाने पर मुआवजा प्रदान किये जाने का कोई प्राविधान नहीं है।
इसके अतिरिक्त कतिपय ग्रामवासियों व जनप्रतिनिधियों द्वारा जनपद के बाहर दूरस्थ क्षेत्रों से बंदरों को छोड़ने की शिकायत नगपालिका परिषद, अल्मोड़ा द्वारा भी की गई थी।
इस सम्बन्ध में अध्यक्ष, नगपालिका परिषद, अल्मोड़ा से साक्ष्य उपलब्ध कराये जाने का अनुरोध किया गया किन्तु अध्यक्ष, नगपालिका परिषद, अल्मोड़ा के स्तर से कोई साक्ष्य अभी तक प्राप्त नहीं हुए।
उन्होंने कहा कि इस संबंध में वन विभाग(forest department) द्वारा उनसे भी शिकायत सम्बन्धी साक्ष्य उपलब्ध कराने को कहा है।
अब सामाजिक कार्यकर्त्ता संजय पांडेय का कहना है कि “बंदर को पकड़ने का कार्य वन विभाग का है जबकि वन विभाग द्वारा यह कार्य नगर पालिका पर डाला जा रहा है । ”
“बंदरों के आतंक की वजह से गांव से पलायन होता जा रहा है क्योंकि बंदर खेती आदि को नष्ट कर देते हैं । बंदरों द्वारा हाल ही में एक महिला पर हमला किया गया था । जिसके बाद उनका पैर फैक्चर हो गया और करीबन डेढ़ महीने बाद उनकी मृत्यु हो गई । उन्होने कहा कि इसके लिए प्रशासन जिम्मेदार है इसके लिए उन्हें लिखित आदेश करने चाहिए । उनका कहना है कि वन विभाग अपने कार्यों से बचने का प्रयास कर रहा है । उन्होंने कहा कि यह प्रश्न उठता है कि जिन बंदरों को पकड़ा जा रहा हैं उन्हें छोड़ा कहां जा रहा है । वन विभाग द्वारा मौखिक आदेश यह दर्शाता है कि विभाग इस मुद्दे के प्रति कितना संवेदनशील है।
बंदरो से संबंधित समस्याओं के लिए सिविल सोयम डिवीज़न में बन्दरबाड़ा बनाया जाना है पर इसके शिवाय भ्रष्टाचार के और कुछ नहीं होगा। बड़े आश्चर्य की बात है कि वन विभाग प्रशासन केवल पेड़ की शाखा पकड़ रहे है जब की काम जड़ पर होना है,जब तक चौकीयों पर चेकिंग अभियान शुरू नही होगा तब तक इसका स्थायी समाधान प्राप्त नही होगा। इसके लिए शासन को मौखिक नही बल्कि लिखित रूप में आदेश जारी करना चाहिए।”
उन्होंने सभी राजनीतिक प्रतिनिधियों और जन प्रतिनिधियों से इस मुद्दे को गंभीरता से लेने की अपील की है और उन्होंने कहा की कहीं ऐसा तो नहीं की जिन बंदरों को पकड़ा जा रहा है वापस शहर में ही छोड़ दिया जा रहा है। क्योंकि जिस तरीके से साक्ष्य मांगा जा रहा है वो शासन पर प्रश्नचिन्ह खड़े करता है। उन्होंने कहा की अगर मुझे शासन द्वारा सुविधा उपलब्ध कराई जाती है तो मैं अवश्य साक्ष्य उपलब्ध करवाऊंगा ।