युवा उत्सव में बहीं लोकनृत्य एवं लोकगीतों की बयार

अल्मोड़ा। एसएसजे परिसर के आडिटोरियम में सांस्कृतिक कार्यक्रमों के अंतिम दिन कलाकारों ने कुमाऊॅनी संस्कृति की मनमोहक झलक अपने लोकगीतों एवं लोकनृत्यों माध्यम से प्रस्तुत…

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अल्मोड़ा। एसएसजे परिसर के आडिटोरियम में सांस्कृतिक कार्यक्रमों के अंतिम दिन कलाकारों ने कुमाऊॅनी संस्कृति की मनमोहक झलक अपने लोकगीतों एवं लोकनृत्यों माध्यम से प्रस्तुत कर उपस्थित श्रोताओं को थिरकने पर मजबूर कर दिया। खासतौर पर शास्तीय रागों पर आधारित गीत, शहीद जवानों की भावभीनीं प्रस्तुतियों ने जमकर वाहवाही लूटीं।
बुधवार को लोक उत्सव के अंतिम दिन शिक्षा संकाय, वाणिज्य संकाय, कला संकाय, विज्ञान संकाय के छात्र-छात्राओं ने सामूहिक लोकनृत्य, समूह गान, गुजराती, पंजाबी, मणिपुरी लोक गीतों एवं लोकनृत्यों का मंचन किया। वहीं, सीमाओं पर बड़ती तकरार के कारण जवानों को होने वाली परेशानियों को गीतों एवं नृत्यों के माध्यम से सजीव तरीके से उकेरने का काम किया। इस मौके पर प्रो दया पंत, कुलानुशासक देवेंद्र सिंह बिष्ट, नीलमा कुमारी, प्रो अमिता शुक्ला, ममता अस्वाल, इला साह, प्रो डीके जोशी, डाॅ संजीव आर्या डाॅ विशन सिंह, उमेश कुमार, प्रवीण बिष्ट, लियाकत अली, छात्रसंघ पदाधिकारी एवं शशांक माहेश्वरी, ललित पांडे, जावेद खान, डाॅ तेजपाल सिंह, पवन मेहता, रवींद्र पाठक, प्रो सोनू द्विवेदी आदि मौजूद रहे। कार्यक्रम का संचालन प्रो भीमा मनराल व असिस्टेंट प्रो संगीता पवार ने किया।

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