किसानो ने दूध-सब्जी फेंककर किया सरकार का विरोध

रामनगर । किसानो की दस दिवसीय देशव्यापी हड़ताल के अन्तिम दिन रविवार को हड़ताल का समर्थन में किसान संघर्ष समिति के नेतृत्व में क्षेत्र के…

Farmers protested against the government by throwing milk and vegetables

रामनगर । किसानो की दस दिवसीय देशव्यापी हड़ताल के अन्तिम दिन रविवार को हड़ताल का समर्थन में किसान संघर्ष समिति के नेतृत्व में क्षेत्र के किसानो ने दूध व सब्जियो के स्टाक को प्रतीकात्मक रुप से सड़क पर फेेंककर अपना विरोध दर्ज कराया। रानीखेत रोड पर आयोजित इस कार्यक्रम के दौरान किसानो की सभा को सम्बोधित करते हुये वक्ताओं ने आरोप लगाया कि सत्ता में बैेठे हुये लोगो के दलाल आम जनता के बीच छिपकर किसानो के आंदोलन को बदनाम करने का काम कर रहें हैं।

किसानो का दस लीटर दूध बीच किलो गेंहू प्रतिकात्मक रुप से सड़क पर फेंकना उन्हें अनाज का अपमान लग रहा है। लेकिन सरकारी गोदामो में हजारो टन गेंहू सड़ जाये या इनके नेताओं की आलीशान दावतो में सैंकड़ो लोगो के हिस्सो के खाने को कचरे के ढेर में फेंककर बरबाद कर दिया जाये तो इनके मुंह में दही जम जाता है। वक्ताओं ने आंदोलन का विरोध करने वाले मध्यम वर्ग के लोगो को किसानो के बीच जाकर उनकी हालत देखने की सलाह देते हुये कहा कि किसानो के आंदोलन पर छाती कूटकर विधवा विलाप करने वाले तब क्यो नहीं बोलते जब सरकार खुद हर साल लाखो टन गेंहू शराब माफिया को देने के लिये जानबूझकर सड़वा देती है, जबकि इस गेंहू को तिरपाल व गोदामो की मदद से सड़नेे से बचाया जा सकता है।

दुग्ध समिति के संयोजक ललित उप्रेती ने किसानो के कर्ज माफ करने, बीज, खाद, कृषि उपकरण व डीजल आदि किसानो को सस्ते दर पर उपलब कराये जाने, खेतो की फसल को जंगली जानवरो से बचाने व जंगलो-चरागाहो पर किसानो के हक-हकूक बहाल करने के लिये व्यापक आंदोलन चलाने की घोषणा की। समिति के सह संयोजक महेश जोशी ने कहा कि सरकार किसानो को अन्नदाता कहकर महिमामंडित कर रही है, लेकिन उनकी तकलीफो से लगातार मुंह चुरा रही है, ऐसी स्थितियो में किसानो के सामने सड़को पर उतरने के अलावा कोई रास्ता नहीं बचा है। महिला एकता मंच की ललिता रावत ने कहा कि देश के लिये दुर्भाग्य की बात है कि जिस किसान को अपने खेत में फसल उगानी चाहिये थी वही किसान आज सरकार की जानलेवा नीतियो के चलते सड़को पर उतरने को मजबूर है।

रावत ने महिला किसानो की दुर्दशा की चर्चा करते हुये कहा कि सरकारो के महिला सशक्तिकरण के सारे दावे महिला किसान के लिये खेत में जाकर दम तोड़ देते हैं। गांव की महिलाओ को आज भी दोहरे शोषण का शिकार होना पड़ रहा है। महिला उत्थान की सारी योजनाएं सरकारी विभागो की फाइलो में ही चलती रहती हैं जिनका लाभ ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं को नहीं मिल पाता है।

उन्होने दूध का क्रय मूल्य बढ़ाने के साथ ही अन्य सब्जियो आदि की खरीद के लिये ग्राम स्तर पर ही क्रय खोलने की भी मांग की। इस मौके पर तुलसी देवी, शांति देवी, वचुली देवी, चम्पा, भवानी देवी, विमला देवी, देवकी देवी, दामोदर भटट, आनन्द नेगी, बलवंत नेगी, हरिदत्त करगेती, महेन्द्र सिंह, गोपाल सिंह जीना, बालादत्त छिम्वाल, केशव दत्त, मोहन खाती, पनीराम, सरस्वती जोशी, नरोत्तम पंचोली, हीरा सिंह, अमीर अहमद, दिनेश मोहन खाती, रघुराज फत्र्याल, याकूब खान, मोहन सती आदि मौजूद रहे। किसानो के इस कार्यक्रम को समाजवादी लोकमंच के मुनीष कुमार व देवभूमि विकास मंच के मनमोहन अग्रवाल ने भी समर्थन दिया।