ChatGPT से बन रहे फर्जी आधार और पैन कार्ड, आपकी पहचान पर मंडरा रहा खतरा

हाल ही में इंटरनेट पर एक दिलचस्प और चिंताजनक बहस ने जोर पकड़ लिया है, जिसमें यह दावा किया जा रहा है कि ChatGPT जैसे…

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हाल ही में इंटरनेट पर एक दिलचस्प और चिंताजनक बहस ने जोर पकड़ लिया है, जिसमें यह दावा किया जा रहा है कि ChatGPT जैसे एआई टूल्स फर्जी आधार और पैन कार्ड बना सकते हैं। एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर एक यूजर ने एक पोस्ट में यह दावा किया कि उन्होंने OpenAI के चैटबॉट से एक नकली पहचान पत्र तैयार करवाया और इसके स्क्रीनशॉट भी साझा किए। इस पोस्ट में आर्यभट्ट नाम के एक व्यक्ति के लिए बनाए गए फर्जी आधार और पैन कार्ड की तस्वीरें भी दिखाईं गईं। इस घटना के बाद एआई के दुरुपयोग और डेटा सुरक्षा को लेकर कई सवाल खड़े हो गए हैं।

इस पोस्ट के जवाब में कुछ अन्य यूजर्स ने भी अपनी-अपनी प्रतिक्रियाएं दीं। एक यूजर ने कहा कि अगर ChatGPT आधार कार्ड की फोटो बना सकता है, तो यह जानना जरूरी है कि उसे ट्रेनिंग के लिए आधार जैसी तस्वीरें कहां से मिलीं। हालांकि, एक और यूजर ने यह बात भी जोड़ी कि संभवतः OpenAI के पास आधार डाटाबेस की सीधी पहुंच नहीं है, लेकिन इंटरनेट पर खुले रूप से उपलब्ध सरकारी आईडी टेम्पलेट्स शायद उसके प्रशिक्षण डाटा का हिस्सा बने हों।

दूसरी ओर, इन दावों की पुष्टि के लिए एक अन्य व्यक्ति ने खुद परीक्षण करने की कोशिश की। उन्होंने ChatGPT से सैम ऑल्टमैन की एक फोटो के आधार पर आधार कार्ड बनाने को कहा। चैटबॉट ने इस मांग को यह कहते हुए अस्वीकार कर दिया कि यह कार्य न केवल गैरकानूनी है, बल्कि OpenAI की नीति के भी खिलाफ है। हालांकि, चैटबॉट ने यह जरूर जोड़ा कि यदि उपयोगकर्ता किसी प्रेजेंटेशन या लेख के लिए पैरोडी या इनफोग्राफिक कार्ड बनाना चाहे, तो वह उसकी मदद कर सकता है।

इस पूरे मामले में सबसे दिलचस्प मोड़ तब आया जब उस यूजर ने एक तस्वीर अपलोड की और कहा कि उसे पैन कार्ड टेम्पलेट पर ओवरले किया जाए। इस बार चैटबॉट ने बिना किसी स्पष्ट अस्वीकार के यह पूछा कि फोटो को कैसे एडिट किया जाए और आउटपुट किस फॉर्मेट में चाहिए – JPEG या PDF। इसके बाद जो चित्र बना, वह असली पैन कार्ड से काफी मिलता-जुलता था, हालांकि उस पर एआई एडिटिंग के कुछ संकेत थे। जब यूजर ने कहा कि पैन कार्ड को पूरी तरह स्पष्ट रूप से दिखना चाहिए, तो अगली बार जो कार्ड बना, वह काफी हद तक असली जैसा दिख रहा था।

इस घटनाक्रम ने यह संकेत जरूर दे दिया है कि एआई की रचनात्मक क्षमताएं केवल लेखन या डिजाइन तक सीमित नहीं रहीं, बल्कि अब वे ऐसे संवेदनशील क्षेत्रों को भी छूने लगी हैं, जहां गलत इस्तेमाल की संभावना अधिक है। इससे प्राइवेसी और सुरक्षा को लेकर गंभीर चिंताएं खड़ी हो गई हैं और यह बहस तेज हो गई है कि क्या अब एआई को रेगुलेट करने का समय आ चुका है।