तथ्य परक शोध करें शोधार्थी, सतही शोध सालों बाद उठा सकते हैं सवाल, जीबी पंत संस्थान के तृतीय शोध छात्र संगोष्ठी में आए विचार

अल्मोड़ा। शोध कार्यों में गुणवत्ता बढ़ाने और शोध प्रविधि में मानकीकरण लाने के सुझावों के संकल्प के साथ यहां गोविंद बल्लभ पंत राष्ट्रीय हिमालयी पर्यावरण…

2gb
gb pant 1
photo-uttranews

अल्मोड़ा। शोध कार्यों में गुणवत्ता बढ़ाने और शोध प्रविधि में मानकीकरण लाने के सुझावों के संकल्प के साथ यहां गोविंद बल्लभ पंत राष्ट्रीय हिमालयी पर्यावरण एवं सतत् विकास संस्थान कोसी में तृतीय हिमालयी शोध छात्र संगोष्ठी का समापन हुआ। दूसरे दिन बड़ी संख्या में शोधार्थियों ने अपने कार्याे की प्रस्तुति दी और विषय विशेषज्ञों ने उन्हें आवश्यक सुझावा दिए। विशेषज्ञों ने कहा कि शोध कार्य में कोई वैकल्पिक मार्ग नहीं होता। शोध में सतही कार्य अनेक सालों बाद भी शोध पर सवाल खड़ा का सकता है। इसलिए युवा शोधार्थियों को चाहिए कि वे तथ्यपरक शोध करें और कार्य को अधिक गंभीरता से संपन्न करें। विशेषज्ञों ने हिमालयी राज्यों विशेषकर उत्तराखण्ड में भी आर्किड प्रजातियों के संरक्षण और संकलन पर जोर देने के सुझाव दिए और कहा कि पादप, प्राणी जगत में शोध कार्यों को और विस्तार देने के सुझाव दिए। दो मूल्यांकन स्थलों में संस्थान के निदेशक डाॅ आर एस रावल, इंद्रप्रस्थ विश्वविद्यालय दिल्ली के प्रो0 जे .के गर्ग , बीएसआई के पूर्व वरिष्ठ वैज्ञानिक डाॅ डी के सिंह, माउंटेन डिविजन के वरिष्ठ वैज्ञानिक डाॅ सुब्रत बोस तथा वन्य सर्वेक्षण संस्थान देहरादून के डाॅ सौरभ घोष एवं जम्मू कश्मीर के डाॅ खुर्शीद अहमद, तितली शोध संस्थान भीमताल के पीटर स्मेटसेक , डाॅ अनीता पाण्डे, व जुलाॅजिकल सर्वे आॅफ इंण्डिया के डाॅ ललित कुमार शर्मा आदि ने विभिन्न शोध कार्यों का मूल्यांकन किया। राष्ट्रीय हिमालयी अध्ययन मिशन के तहत संचालित इस संगोष्ठी में विभिन्न छात्रों ने पोस्टर प्रदर्शिनी में भी प्रतिभाग किया और विशेषज्ञों ने इनका मूल्यांकन किया। इस अवसर पर उत्कृष्ठ पोस्टर प्रदर्शिनी एवं प्रस्तुतिकरण के लिए के लिए शोधार्थियों को पुरस्कृत भी किया गया।
संस्थान के निदेशक प्रो0 आर एस रावल ने इस संगोष्ठी को सफल और शोधार्थियों के लिए प्रेरणादायक बताया। उन्होंने कहा कि भारतीय हिमालयी भू- भाग अपार संभावनाओं से भरा है और युवाओं को अपने क्षेत्रों में गहन अनुसंधान पर जोर देना चाहिए। राष्ट्रीय हिमालयी अध्ययन मिशन के नोडल अधिकारी इं0 किरीट कुमार ने कहा कि संगोष्ठी में शोधार्थियों ने गंभीरता से अपने कार्यों को प्रदर्शित किया है। यहां हुए मूल्यांकन को वे गंभीरता से लेंगे और अपने शोध कार्य में गुणवत्ता लाने के साथ उसे वैश्विक स्तर का बनाने का प्रयास करेंगे।
विभिन्न विषय विशेषज्ञों डाॅ अनीता पाण्डे, डाॅ. जीसी एस नेगी, डाॅ चंद्रशेकर, डाॅ रजंन जोशी, डाॅ संदीपन मुखर्जी, डाॅ आशुतोष तिवारी, डाॅ आई डी भटट, डाॅ सुमित राय, डाॅ ललित गिरी, व डाॅ रवींद्र वर्मा, पुनीत सिराड़ी, डाॅ हर्षित पंत, अंकित धनै, सहित अनेक लोगों ने इस संगोष्ठी में सहयोग किया।
हिमंाचल प्रदेश, गुवाहाटी असम, देहरादून, सिक्किम, जम्मू कश्मीर, गंगटोक आदि स्थानों से 14 से अधिक शोध संस्थानों व विश्वविद्यालयों ने लगभग 5 दर्जन शोधार्थियों ने यहां प्रतिभाग किया। दो दर्जन से अधिक वैज्ञानिकों ने इस संगोष्ठी में भाग लिया।
नोडल अधिकारी मिशन इंजीनियर किरीट कुमार ने सभी प्रतिभागियों और अतिथियों का इस संगोष्ठी के सफल संचालन के लिए आभार प्रकट किया।

2gb
photo-uttranews