एक्सपर्ट ने बताया सिगरेट से ज्यादा खतरनाक है बीड़ी

देश में नो स्मोकिंग डे हर साल 13 मार्च को मनाया जाता है। इस दिन लोगों को स्मोकिंग के नुकसान और उसके बारे में जागरूकता…

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देश में नो स्मोकिंग डे हर साल 13 मार्च को मनाया जाता है। इस दिन लोगों को स्मोकिंग के नुकसान और उसके बारे में जागरूकता फैलाने का काम किया जाता है। हालांकि नो स्मोकिंग डे दो दिन पहले लखनऊ के किंग जॉर्ज मेडिकल कॉलेज यूनिवर्सिटी में 18 सतत चिकित्सा शिक्षा कार्यक्रम का आयोजन किया गया।

इस दौरान वहां के एक्सपर्ट्स ने बताया कि बीड़ी सिगरेट की तुलना में आठ गुना ज्यादा हानिकारक होती है। हालांकि लोगों की बीड़ी को लेकर आम धारणा है कि इसमें तंबाकू कम होती है और यह सिगरेट से कम हानिकारक होती है लेकिन एक्सपर्ट का कहना है कि पत्तियों के प्रतिकूल प्रभाव और अधिक गहराई तक सांस लेने के कारण बीड़ी सिगरेट से ज्यादा खतरनाक साबित हो सकती है। दिल्ली के वल्लभभाई पटेल चेस्ट इंस्टीट्यूट के पूर्व निदेशक प्रोफेसर राजेंद्र प्रसाद ने बीड़ी और सिगरेट की तुलना करने वाले एक अध्ययन के मदद से जानकारी दी कि दोनों को हानिकारक माना गया, लेकिन तंबाकू के चारों ओर पत्तियों को लपेटकर बनाई गई बीड़ी जलाने पर अधिक धुआं पैदा करती है।

प्रोफेसर प्रसाद ने बताया कि धूम्रपान करने वाले बीड़ी जलाने के लिए अधिक गहरी सांस लेते हैं जिससे उनके फेफड़ों को और ज्यादा क्षति पहुंचती है। बीड़ी में सिगरेट से चार गुना कम तंबाकू होने के बावजूद अगर हम बीड़ी में उतनी ही मात्रा में तंबाकू का प्रयोग करें। बीड़ी जलाने से फेफड़ों को अधिक नुकसान होगा।

इस दौरान एक्सपर्ट ने बताया कि बीड़ी सिगरेट की तुलना में आठ गुना अधिक हानिकारक हो सकती है।हालांकि, लोगों की बीड़ी को लेकर आम धारणा है कि इसमें तंबाकू कम होती है और ये सिगरेट से कम हानिकारक होती है। लेकिन एक्पर्ट की मानें तो पत्तियों के प्रतिकूल प्रभाव और अधिक गहराई तक सांस लेने के कारण बीड़ी सिगरेट से ज्यादा खतरनाक साबित होती है।

दिल्ली के वल्लभभाई पटेल चेस्ट इंस्टीट्यूट (VPCI) के पूर्व निदेशकप्रोफेसर राजेंद्र प्रसाद ने बताया कि धूम्रपान करने वाले बीड़ी जलाने के लिए अधिक गहरी सांस लेते हैं, जिससे फेफड़ों को अधिक गंभीर क्षति पहुंचती है। बीड़ी में सिगरेट से चार गुना कम तंबाकू होने के बावजूद अगर हम बीड़ी में उतनी ही मात्रा में तम्बाकू का उपयोग करें तो वे आठ गुना अधिक खतरनाक होंगी। किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी में आयोजित एक कार्यक्रम में दूसरे दिन प्रसिद्ध डॉक्टर ने चेस्ट के x-ray की व्याख्या भी की और छात्रों की विशेषज्ञता को बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण व्याख्यान भी दिया।

नॉर्थ जोन टीबी टास्क फोर्स के अध्यक्ष डॉ.सूर्यकांत ने आगाह किया कि छाती के एक्स-रे में देखा गया हर धब्बा टीबी का संकेत नहीं देता है। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि छाती का एक्स-रे विभिन्न बीमारियों के निदान में सहायक हो सकता है, क्योंकि उनमें से कुछ एक्स-रे छवियों में टीबी के समान दिखते हैं।